प्रयागराज महाकुंभ में अब तक लगभग 20 करोड़ से अधिक भक्त आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। बुधवार को मौनी अमावस्या के अवसर पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग ने बुधवार दोपहर तक का आंकड़ा साझा करते हुए बताया, “आज तक 5.71 करोड़ लोग संगम में स्नान कर चुके हैं, जबकि 28 जनवरी तक कुल संख्या 19.74 करोड़ थी।” महाकुंभ में भक्तों, नागा साधुओं और बाबाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति देखी जा रही है।
ऐसे में सवाल उठता है कि करोड़ों भक्तों की गिनती कैसे की जाती है। लोग विभिन्न साधनों से महाकुंभ पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासन किस प्रकार से संख्या का आंकड़ा पता लगाता है। चलिए जानते हैं वो तकनीकें जो इस प्रक्रिया में मददगार हैं।
एआई और सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल
महाकुंभ में आने वाले भक्तों की गिनती के लिए इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। एआई और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से भक्तों की संख्या का पता लगाया जाता है। हालांकि, ये आंकड़े पूरी तरह से सटीक नहीं होते, लेकिन फिर भी दावा किया जाता है कि अंतर बहुत कम होता है। इतनी बड़ी संख्या को मैन्युअली गिनना असंभव है, इसलिए प्रशासन इस तकनीक के माध्यम से भक्तों पर निगरानी रख रहा है। हर भक्त को केवल एक बार गिना जाता है, चाहे वह पूरे दिन मेले में घूमता रहे।
ड्रोन कैमरों से निगरानी
महाकुंभ परिसर में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगाए गए हैं। इनमें एआई तकनीक से लैस कैमरे भी शामिल हैं, जो संगम क्षेत्र से लेकर वहां पहुंचने वाले रास्तों पर लगे हुए हैं। इसके अलावा, ड्रोन कैमरों के माध्यम से 24 घंटे भक्तों की निगरानी की जा रही है। इन तकनीकों के जरिए भक्तों की संख्या का अनुमान लगाया जाता है। इस बार मेले में लगभग 1800 कैमरों को स्थापित किया गया है।
अन्य तरीकों से संख्या की गिनती
महाकुंभ में आने वाले भक्तों की गिनती करने के लिए और भी कई उपाय अपनाए गए हैं। संगम जाने वाले रास्तों पर लोगों की भीड़ के आंकड़ों को भी गिना जाता है। हर तकनीक से प्राप्त डेटा को क्राउड असेसमेंट टीम के पास भेजा जाता है, जहां इसे जांचा जाता है और आधिकारिक आंकड़े जारी किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, प्रयागराज में आने वाली ट्रेनों, बसों और गाड़ियों की निगरानी की जाती है, जिससे आने वाली अधिकतम संख्या को जोड़ा जाता है। साथ ही, अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों से भी भक्तों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए डेटा प्राप्त किया जा रहा है।
इस प्रकार, महाकुंभ में भक्तों की संख्या की गिनती में आधुनिक तकनीक और डेटा संग्रहण के विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जा रहा है।