दिल्ली में सोमवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। धरती हिलने से लोग घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई, जिसका केंद्र दिल्ली के पास 5 किलोमीटर की गहराई पर था। जिसके कारण तेज झटके महसूस किए गए। कुछ सेकंड तक आए भूकंप के झटके इतने तेज थे कि इमारतों के अंदर भी तेज कंपन महसूस किया गया। भूकंप सुबह 5.36 बजे आया, जिससे लोगों की नींद उड़ गई।
दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय जोन IV में आता है।
एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि भूकंप का केंद्र धौला कुआं में दुर्गाबाई देशमुख विशेष शिक्षा महाविद्यालय के निकट था। अधिकारी ने बताया कि भूकंप का केन्द्र जहां था, उसके पास एक झील है। इस क्षेत्र में हर दो से तीन साल में एक बार छोटे और कम तीव्रता वाले भूकंप आते हैं। उन्होंने बताया कि 2015 में यहां 3.3 तीव्रता का भूकंप आया था। दिल्ली-एनसीआर और पड़ोसी राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोगों में दहशत फैल गई और वे एहतियात के तौर पर अपने घर छोड़कर चले गए। फिलहाल जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
फिलहाल जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर भूकंपीय जोन IV में आता है, जहां मध्यम से लेकर गंभीर भूकंप का खतरा बना रहता है। दिल्ली एनसीआर में समय-समय पर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं, लेकिन इतनी तीव्रता के झटके लंबे समय बाद महसूस किए गए हैं। दशकों बाद भी भूकंप का केंद्र दिल्ली के नजदीक ही रहता है। कंपन इतना तेज था कि लोगों के घरों के अंदर बिस्तर, पंखे और अन्य वस्तुएं हिलने लगीं। ऐसा लग रहा था मानो धरती के भीतर कोई बड़ी हलचल हो रही हो। घर के दरवाजे और खिड़कियाँ हिलने लगीं।
जैसे ही भूकंप के झटके महसूस हुए और सब कुछ हिलने लगा
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि दिल्ली, नोएडा और एनसीआर के अन्य शहरों में आए भूकंप का केंद्र 28.59 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 77.16 डिग्री पूर्वी देशांतर पर था। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों ने बताया कि ऐसा लग रहा था जैसे कोई रेलगाड़ी भूमिगत चल रही हो। एक व्यक्ति ने कहा, ‘सब कुछ हिल रहा था।’ स्टेशन पर मौजूद एक विक्रेता ने बताया कि जैसे ही भूकंप के झटके महसूस हुए और सब कुछ हिलने लगा, कई ग्राहक चीखने लगे। अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे एक अन्य यात्री ने मीडिया को बताया, “भूकंप बहुत कम समय के लिए महसूस किया गया, लेकिन तीव्रता इतनी अधिक थी कि ऐसा लगा जैसे कोई ट्रेन बहुत तेज गति से आ गई हो।” 7 जनवरी को तिब्बत में आए लगातार तीन भूकंपों में 126 लोग मारे गए तथा बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा।