ट्रंप सरकार और अमेरिकी न्यायपालिका में बढ़ता टकराव: कोर्ट ने प्रवासियों पर नीति को नाजियों से बदतर बताया

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अवैध प्रवासियों के निर्वासन पर ट्रंप प्रशासन को कोर्ट की फटकार

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। दूसरी बार सत्ता में आने के बाद ट्रंप प्रशासन ने कई विवादित फैसले लिए, जिन पर अमेरिकी अदालतों ने बार-बार रोक लगाई है। इसी क्रम में सोमवार को एक अमेरिकी अदालत ने अवैध प्रवासियों के साथ ट्रंप प्रशासन के व्यवहार पर कड़ी टिप्पणी की।

सुनवाई के दौरान अमेरिकी सर्किट जस्टिस पेट्रीसिया मिलेट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का रवैया इतना कठोर है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों को भी इससे अधिक अधिकार मिले थे। उन्होंने सरकारी वकील ड्रू एनसाइन से सवाल किया कि वेनेजुएला के नागरिकों को निर्वासित करने से पहले क्या उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया था?

ट्रंप प्रशासन के फैसले पर कोर्ट ने लगाई रोक

ट्रंप सरकार ने वेनेजुएला के नागरिकों को प्रतिबंधित समूह डी अरागुआ गिरोह से जोड़कर निर्वासित करने का फैसला किया था, जिसे वॉशिंगटन स्थित अमेरिकी जिला अदालत ने अस्थायी रूप से रोक दिया। इसके जवाब में ट्रंप प्रशासन ने अपीलीय अदालत में याचिका दायर की और ट्रंप ने न्यायाधीश के महाभियोग की मांग तक कर डाली।

क्या है एलियन एनीमी एक्ट?

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में “एलियन एनीमी एक्ट” को दोबारा लागू किया है।

  • यह कानून 1798 में फ्रांस के साथ तनाव के दौरान बनाया गया था।

  • इसके तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार मिलता है कि वह युद्धकाल के दौरान किसी भी विदेशी नागरिक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानकर हिरासत में ले सकता है और निर्वासित कर सकता है।

  • पिछली बार इस कानून का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी, जर्मन और इतालवी प्रवासियों पर किया गया था।

200 से अधिक प्रवासी निर्वासित, अल साल्वाडोर भेजे गए

15 मार्च को ट्रंप प्रशासन ने 200 से अधिक वेनेजुएलाई नागरिकों को निर्वासित कर दिया, जिन्हें अल साल्वाडोर में एक उच्च-सुरक्षा वाली जेल में रखा गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने इस सौदे के तहत अल साल्वाडोर की सरकार को $6 मिलियन का भुगतान किया।

न्यायपालिका से टकराव बढ़ा

अमेरिकी न्यायपालिका द्वारा लगातार ट्रंप प्रशासन के फैसलों को अवरुद्ध किए जाने से व्हाइट हाउस और अदालतों के बीच टकराव तेज हो गया है। ट्रंप ने न्यायाधीशों के खिलाफ खुलकर बयानबाजी शुरू कर दी है और कई अदालतों के फैसलों को “राष्ट्र-विरोधी” करार दिया है।

यह टकराव आगे चलकर अमेरिकी लोकतंत्र और संवैधानिक संतुलन पर बड़ा असर डाल सकता है।