अमेरिका और भारत के बढ़ते रिश्ते: पाबंदियां हटने से खुलेगा परमाणु सहयोग का नया अध्याय

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भारत और अमेरिका के बीच गहराते संबंधों के बीच एक महत्वपूर्ण घोषणा हुई है। भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा है कि 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों को अब हटा दिया जाएगा। यह घोषणा भारत-अमेरिका सहयोग के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है। इस कदम से भविष्य में दोनों देशों के बीच परमाणु करार की राह भी आसान हो जाएगी।

1998 के पोखरण परीक्षण के बाद प्रतिबंधों की कहानी

मई 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। इस परीक्षण ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी थी, खासकर अमेरिका ने इसे कड़ा रुख अपनाते हुए भारत की कई असैन्य परमाणु कंपनियों पर पाबंदी लगा दी थी। यह प्रतिबंध दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार के समझौते को बाधित कर रहे थे।

हाल ही में, अमेरिका ने पाकिस्तान की कुछ परमाणु कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए थे, यह दावा करते हुए कि पाकिस्तान एक ऐसी मिसाइल तकनीक पर काम कर रहा है जो सीधे अमेरिका को निशाना बना सकती है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए भारत पर इशारा किया था कि उसे एक परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते यह कदम अन्यायपूर्ण है।

जेक सुलिवन का बयान: ‘अब कोई बाधा नहीं’

जेक सुलिवन ने सोमवार को आईआईटी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा,
“मैं यह घोषणा करता हूं कि अमेरिका भारत की परमाणु कंपनियों पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की दिशा में आवश्यक कदम उठा रहा है। ये प्रतिबंध करीब 25 साल से दोनों देशों के बीच परमाणु करार को रोक रहे थे। अब हम इस बाधा को समाप्त करेंगे और नए अवसरों की शुरुआत करेंगे।”

सुलिवन ने यह भी कहा कि इस कदम से बीते दौर की गलतियों को सुधारा जा सकेगा और भारत-अमेरिका के बीच तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग को नई गति मिलेगी।

भारतीय कंपनियों को मिलेगा बड़ा फायदा

प्रतिबंध हटने से भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के लिए सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे। उन संस्थानों में शामिल हैं:

  • भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर
  • इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च
  • इंडियन रेयर अर्थ्स
  • न्यूक्लियर रिएक्टर्स

यह कदम भारत के तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्र को मजबूती देगा। अब भारतीय कंपनियां अमेरिका के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर तकनीक और अन्य उन्नत तकनीकी क्षेत्रों में काम कर सकेंगी।

भविष्य के सहयोग का खाका

सुलिवन ने इस मौके पर भारत और अमेरिका के बीच सेमीकंडक्टर तकनीक पर साझेदारी की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा पहला देश होगा, जिसके साथ अमेरिका इस तकनीक पर काम करेगा। यह सहयोग दोनों देशों के लिए आने वाली चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा।

भारत-अमेरिका संबंधों में नया मोड़

अमेरिका द्वारा प्रतिबंध हटाने का फैसला भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा। यह कदम सिर्फ परमाणु क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि रक्षा, विज्ञान, तकनीक, और ऊर्जा के क्षेत्रों में भी दोनों देशों को करीब लाएगा।