ताजमहल की मशहूर 'डायना बेंच', जिसे शाहजहां ने नहीं, तो फिर किसने बनवाया था? जानिए पूरी कहानी
जब भी हम ताजमहल के बारे में सोचते हैं, तो प्यार की निशानी, मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज की खूबसूरत कहानी आंखों के सामने आ जाती है। लेकिन ताजमहल परिसर में एक ऐसी खास चीज है, जिसकी अपनी एक अलग और दिलचस्प कहानी है, और उसका शाहजहां से कोई लेना-देना नहीं है।
यह कहानी है उस सफेद संगमरमर की बेंच की, जिस पर बैठकर हर पर्यटक एक तस्वीर खिंचवाना अपना सपना समझता है। यह वही बेंच है जिस पर बैठकर फोटो खिंचवाने के लिए घंटों लाइन लगी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बेंच को 'डायना बेंच' क्यों कहते हैं और इसे असल में किसने बनवाया था?
शाहजहां ने नहीं, तो फिर किसने?
ताजमहल की तरह ही इस बेंच के भी सफेद संगमरमर से बने होने के कारण ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि इसे भी शाहजहां ने ही ताजमहल के साथ बनवाया होगा। लेकिन यह सच नहीं है।
इस खूबसूरत बेंच को 1907-08 के आसपास भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने लगवाया था। उन्होंने सेंट्रल टैंक के पास ऐसी चार बेंचें लगवाई थीं, ताकि यहां आने वाले लोग आराम से बैठकर ताजमहल की मनमोहक सुंदरता को निहार सकें। इस बेंच से ताजमहल का जो नजारा दिखता है, वो वाकई लाजवाब है।
एक पत्थर की बेंच कैसे बनी 'डायना बेंच'?
सालों तक यह बस एक सामान्य संगमरमर की बेंच ही थी। लेकिन इसकी किस्मत तब बदली जब साल 1992 में वेल्स की राजकुमारी डायना भारत दौरे पर आईं और उन्होंने ताजमहल का दीदार किया।
इस दौरान, प्रिंसेस डायना ने इसी बेंच पर अकेले बैठकर एक तस्वीर खिंचवाई थी। उनकी यह अकेली, उदास और खूबसूरत तस्वीर दुनियाभर में इतनी मशहूर हुई कि लोगों ने इस बेंच को उन्हीं के नाम से बुलाना शुरू कर दिया। बस, तभी से इसका नाम 'डायना बेंच' पड़ गया।
दुनियाभर की हस्तियों की पसंदीदा फोटो स्पॉट
प्रिंसेस डायना की उस एक तस्वीर ने इस बेंच को अमर कर दिया। तब से लेकर आज तक, यह बेंच ताजमहल में सबसे पसंदीदा फोटो स्पॉट बन चुकी है। ताजमहल देखने आने वाला हर आम और खास इंसान यहां बैठकर एक तस्वीर जरूर लेना चाहता है।
- ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
- हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक के सितारे
...न जाने कितनी ही बड़ी-बड़ी हस्तियां इस बेंच पर बैठकर ताजमहल के साथ अपनी यादें कैमरे में कैद कर चुकी हैं।
तो अगली बार जब आप ताजमहल जाएं और इस बेंच पर बैठने के लिए अपनी बारी का इंतजार करें, तो याद रखिएगा कि आप सिर्फ एक बेंच पर नहीं, बल्कि इतिहास के एक ऐसे हिस्से पर बैठे हैं, जिसकी कहानी शाहजहां और मुमताज से नहीं, बल्कि लॉर्ड कर्जन और प्रिंसेस डायना से जुड़ी है।
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