जयपुर, 7 जून (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि कार्यपालिका को विधायिका के प्रति जवाबदेही बनना होगा। पिछले कुछ वर्षों से कार्यपालिका विधायी कार्यों को गम्भीरता से नहीं ले रही है। कार्यपालिका की विधायी कार्यों में कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। देवनानी ने कहा कि विधायकगण द्वारा पूछे जा रहे प्रश्नों, ध्यानाकर्षण और विशेष उल्लेख के प्रस्ताव के जवाब नियत समय सीमा में विधानसभा को आवश्यक रूप से भेजा जाना सभी अधिकारी सुनिश्चित करें।
विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने शुक्रवार को यहां विधानसभा में राज्य सरकार के मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। बैठक में विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, शासन सचिव सहित प्रशासनिक अधिकारीगण मौजूद थे। देवनानी ने कहा कि सोलहवीं विधानसभा के आगामी सत्र के आरम्भ होने से पहले पूर्व सत्र में पूछे गये सभी प्रश्नों, ध्यानाकर्षण और विशेष उल्लेख प्रस्ताव के जवाब आवश्यक रूप से प्राप्त हो जाने चाहिए। देवनानी ने 15वीं विधानसभा के पांच हजार से अधिक प्रश्नों के जवाब नहीं प्राप्त होने पर चिंता जाहिर करते हुए विभागवार समीक्षा की। देवनानी अधिक प्रश्नों के बकाया जवाबों वाले आठ विभागों चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, खान, नगरीय विकास एवं आवासन, राजस्व, शिक्षा, स्वायत शासन, सार्वजनिक निर्माण विभाग और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों से रूबरू हुए और उनसे प्रश्नों के जवाब नहीं आने के कारणों की जानकारी ली। चिकित्सा विभाग में 1056 प्रश्नों के जबाब नहीं आने पर नाराजगी जाहिर की। देवनानी ने कहा कि विधानसभा की समितियों की कार्यवाही को भी प्रशासनिक अधिकारी गंभीरता से लें ताकि ऑडिट पैराओ पर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध समय पर कार्रवाई हो सके।
देवनानी ने कहा कि मुख्य सचिव के प्रयासों से गत चार माह में 1940 प्रश्नों, 274 ध्यानाकर्षण प्रस्तावों और 85 विशेष उल्लेख प्रस्तावो के जवाब आये है। इस तरह कार्य की गम्भीरता को समझते हुए प्रगति की निरन्तरता को बनाये रखे। देवनानी ने कहा कि प्रदेश के सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी विधानसभा कार्यों की गम्भीरता को समझे। उन्होंने कहा कि विधायकगण जनता के प्रति जवाबदेही होते है। विधानसभा का सदन संचालन महत्वपूर्ण होता है। लोकतंत्र के लिए विधानसभा में विधायकगण द्वारा पूछे गये प्रश्नों के जवाब यथा समय राज्य सरकार से आना आवश्यक है। प्रश्नों के जवाब समय पर आये, इसके लिए अधिकारी जवाबदेही है। इस कार्य में किसी प्रकार की ढिलाई न होने दें। वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे निरन्तर निगरानी रखे और समय सीमा का पालन करें।
देवनानी ने अधिकारियों से पूछा कि प्रश्नों के जवाब भेजने में क्या कठिनाई है? क्यों प्रश्नों के जवाब लम्बित रहते है। किस स्तर पर विधानसभा के कार्यों को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे पीडा है कि प्रश्नों के जवाब निर्धारित समय सीमा में नहीं आ रहे है। प्रत्येक विभाग में विधानसभा प्रकोष्ठ संचालित होने के बावजूद भी प्रश्नों के जवाब नहीं आना दुखद है। देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार और विधानसभा के कार्यों का उद्देश्य एक ही है। विधायकों द्वारा पूछे जा रहे प्रश्नों के जवाब तय समय सीमा में आये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और विधानसभा के अधिकारीगण प्रश्नों के जवाब में आ रही कठिनाइयों को मिलकर दूर करें और समय पर प्रश्नों के जवाब भेजे जाना सुनिश्चित करें।
देवनानी ने कहा कि लोकतंत्र में जन महत्वपूर्ण होता है। जनता का लोकतंत्र के प्रति विश्वास को बनाये रखने में हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। आप और हम सभी मिलकर लोकतंत्र के लिए प्रदेश के विकास के लिए कार्य कर रहे है। इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। देवनानी ने कहा कि विधानसभा के सदन संचालन से संबंधित किसी भी कार्य में ढिलाई बरतने वाले अधिकारी व कर्मचारी पर सख्त कार्यवाही होगी। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार की कठिनाई हम सभी की कठिनाई है। लेकिन हमें उन कठिनाइयों के हल भी मिलकर निकालने होंगे। इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे। सभी प्रश्नों के जवाब यथा समय दें। सोलहवीं विधानसभा में सभी को मिलकर यह आदर्श स्थापित करना है कि विधानसभा के किसी भी प्रश्न का जवाब पेंन्डिग नहीं रहे। देवनानी ने अधिकारियों से अनुरोध किया कि ऐसा कार्य करें कि उन्हें भविष्य में प्रश्नों, ध्यानाकर्षण और विशेष उल्लेख के प्रस्ताव के जवाब के संदर्भ में बैठक बुलानी ही ना पड़ें।
देवनानी ने कहा कि लोकतंत्र के प्रति आप सभी जागरूक रहे। लोकतंत्र के संचालन में आवश्यक गतिविधियों का समय पर क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी अधिकारियों की है। राज्य सरकार के प्रति कर्तव्यों को सभी ईमानदारी व निष्ठा से अनुशासन में पूर्ण करें। तंत्र को नियमों के अनुसार सही तरीके से सभी मिलकर चलाये। देवनानी ने कहा कि प्रत्येक विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन और वार्षिक अंकेक्षण लेखे विधानसभा में नियमों के अनुरूप समय पर विधानसभा में भेजे। अधिकारियों को अपनी राजकीय जिम्मेदारियों का निष्ठा से निर्वहन करना ही होगा ताकि लोकतंत्र की गतिविधियों में किसी प्रकार का व्यवधान न आये। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव के समय बढाने के आग्रह पर विचार करते हुए देवनानी ने कहा कि 15वीं विधानसभा से संबंधित बकाया प्रश्नों के जवाब 30 सितम्बर तक आवश्यक रूप से विधानसभा को प्रेषित कर दे। साथ ही 16वीं विधानसभा के प्रश्नों, ध्यानाकर्षण और विशेष उल्लेख प्रस्तावों के जवाब नए सत्र के आरंभ होने से पहले भेजा जाना सभी अधिकारी सुनिश्चित कर लें।
बैठक में मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने बताया कि फरवरी से मई माह तक विधानसभा से संबंधित प्रश्नों व अन्य बिन्दुओं के संदर्भ में आठ समीक्षा बैठक विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ की है। सोलहवीं विधानसभा के संबंध में 66 प्रतिशत जवाब भेज दिये गए है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों के अधिकारी अथक प्रयासों से विधानसभा से संबंधित कार्यों के निस्तारण की निरन्तरता को भविष्य में भी बनाए रखेंगे। मुख्य सचिव सहित सभी अधिकारियों ने कहा कि वे सभी विधायिका का सम्मान करते हैं। प्रारम्भ में विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने अधिकारियों का स्वागत करते हुए 16वीं, 15वीं और 14वीं विधानसभा के प्रश्न, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और विशेष उल्लेख प्रस्तावों की छह जून की सांय चार बजे तक की वस्तु स्थिति का विभागवार प्रस्तुतीकरण दिया।