‘बस्तर द नक्सल स्टोरी’ फिल्म में दिखा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का मर्म

मेरठ, 13 मार्च (हि.स.)। द केरल स्टोरी फ़िल्म के निर्माता निर्देशक द्वारा माओवाद एवं नक्सली हिंसा पर आधारित फिल्म ‘बस्तर द नक्सल स्टोरी’ 15 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। मेरठ चलचित्र समिति द्वारा बुधवार को फ़िल्म की एक स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया। फिल्म को देखकर समाज के विभिन्न वर्ग के लोग कह उठे कि नक्सलवाद ने लंबे समय तक देश को तबाह किया है। नक्सलवाद के पनपने में उस समय की लचर सरकारों और सिस्टम की भूमिका रही।

बस्तर द नक्सल स्टोरी फ़िल्म 2010 मे छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवादियों द्वारा सीआरपीएफ के कैम्प पर हमला कर 76 सैनिकों की हत्या करने की एक सत्य घटना पर आधारित है। पीवीएस मॉल के आईनॉक्स मल्टीप्लेक्स में बुधवार को फिल्म का विशेष प्रीमियर दिखाया गया, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े लोगों, पत्रकारों, इंटरनेट मीडिया के इनफ्लुएंसर, शिक्षक, छात्र, डॉक्टर्स, अधिवक्ता आदि को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। यह फिल्म पूर्व में रही सरकारों की नाकामी से अधिक उनकी मंशा पर सवाल उठा रही है। यह फिल्म आपकी अंतरात्मा को झकझोर कर रख देगी। फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन और सह निर्देशक अमृतलाल शाह ने दो घंटे 4 मिनट की कहानी में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का वास्तविक मर्म जनता को दिखाने का प्रयास किया है।

फिल्म का टाइटल ‘बस्तर’ जिला है जो अभी तक के इतिहास में सबसे अधिक नक्सल प्रभावित रहा है। डेढ़ दशक पहले तक यह इलाका नक्सल ‘माओ’ की राजधानी हुआ करता था। फिल्म आरंभ में ही देश की उस दोगली और लचर व्यवस्था से परिचय करवाती है जो साहस के साथ सही करने का दम भरने वाले अधिकारियों का हौंसला बढ़ाने की बजाय उनके पैरों में बेड़ी डालने का काम करती है।

मेरठ चलचित्र सोसाइटी और विश्व संवाद केन्द्र के सौजन्य से मेरठ में पहली बार किसी फिल्म का प्रीमियर हुआ। नक्सल के खात्मे का दम भरने वाली आईपीएस अधिकारी नीरजा माधवन के रोल में शिल्पा शुक्ला फिल्म में मजबूत भूमिका में है। अभिनेत्री इंद्रा तिवारी ने नक्सल पीड़ित एक महिला ‘रत्ना’ का किरदार निभाया है। एक पल के लिए भी वह अपने किरदार से अलग नहीं दिखी। अपने सामने पति के टुकड़े होते देखना और उन टुकड़ों को समेट गठरी बांधकर अपने घर तक ले आना। अपने अभिनय से इंद्रा तिवारी दर्शकों के हृदय की पीड़ा बन जाती हैं।

जाने माने सह अभिनेता यशपाल शर्मा ने वकील की दमदार भूमिका निभाई है। मध्यांतर के बाद फिल्म में शामिल गीत वंदे मातरम एक तरह से श्रद्धांजलि है उन शहीदों के लिए जिन्होंने इस प्रकार के हमले में अपना जीवन खोया है। यह कालजयी फिल्म एक बड़ा सवाल छोड़ती है कि अगर देश की पूर्व सरकारें नक्सल आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस वाली नीति अपनाती तो शायद बहुत समय पहले देश को इस कोढ़ से मुक्ति मिल गई होती। यह फिल्म 15 मार्च को रिलीज हो रही है।

प्रीमियर में आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख सुरेंद्र सिंह,तपन कुमार,धनंजय कुमार, कपिल त्यागी, प्रो. प्रशांत कुमार, कुलदीप कुशवाहा, डॉ. एमके श्रीवास्तव, शरद व्यास, पंकज राज शर्मा, राकेश त्यागी, अनुज शर्मा, कृष्ण कुमार, संजीव गर्ग, लोकेश टंडन आदि उपस्थित रहे।