डेढ़ वर्ष की सजा और 15.2 लाख के अर्थदंड से दंडित आरोपित को न्यायालय ने किया दोषमुक्त 

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नैनीताल, 16 दिसंबर (हि.स.)। जिला एवं सत्र न्यायालय नैनीताल सुबीर कुमार की अदालत ने एनआई एक्ट यानी परकाम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के एक आरोपित की अपील को स्वीकार करते हुए दोषमुक्त घोषित किया है। यह अपील न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल द्वारा 20 जुलाई 2023 को पारित दोषसिद्धि निर्णय के विरुद्ध प्रस्तुत की थी, जिसमें आरोपित को डेढ़ वर्ष के साधारण कारावास और 15,20,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई थी।

दरअसल, परिवादी सुमित पंत ने आरोपित युगल पंत पर आरोप लगाया था कि आरोपित ने उनसे मित्रता और विश्वास के आधार पर 15 लाख रुपये उधार लिए थे। उधार की गई राशि लौटाने के लिए आरोपित ने चेक दिया, जो 12 जून 2019 को अपर्याप्त निधि के कारण बाउंस हो गया। ऐसी स्थिति में सुमित ने परकाम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत परिवाद दर्ज कराया।

सत्र न्यायालय ने बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सुभाष जोशी की मजबूत पैरवी के आधार पर पाया कि परिवादी के दावों में साक्ष्य का अभाव है। आरोपित का हस्ताक्षरित चेक तो मौजूद था, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि 15 लाख रुपये की राशि वास्तव में उधार दी गई थी। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि विचारण न्यायालय ने मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य को अनदेखा करते हुए दोषसिद्धि का निर्णय सुनाया था, जो तथ्य और विधि दोनों आधारों पर गलत है। और इस आधार पर सत्र न्यायालय ने आरोपित युगल पंत को दोषमुक्त करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट के दोषसिद्धि निर्णय को निरस्त कर दिया।