अंग्रेजों ने नहीं बनाया भारत, यह देश पहले से था ,मोहन भागवत ने RSS रजिस्ट्रेशन विवाद पर दिया करारा जवाब

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News India Live, Digital Desk: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने "भारत को अंग्रेजों ने बनाया" जैसी धारणाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि भारत एक प्राचीन राष्ट्र है जो सदियों से وجود में था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंग्रेजों के आने से बहुत पहले से ही भारत की अपनी एक सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान रही है। भागवत का यह बयान हाल ही में उठे RSS के रजिस्ट्रेशन विवाद के संदर्भ में आया है।

"भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, एक जीता-जागता राष्ट्र है"

मोहन भागवत ने कहा, "कुछ लोग कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारत को बनाया, यह पूरी तरह से गलत है। सच तो यह है कि जब अंग्रेज यहां थे, तब भी भारत था, और जब वे चले गए, तब भी भारत है। हमारा देश सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक विचार है, एक संस्कृति है जो हजारों सालों से चली आ रही है।"

उन्होंने आगे कहा कि भारत की एकता का आधार उसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है, न कि किसी बाहरी ताकत द्वारा खींची गई सीमाएं।

RSS के रजिस्ट्रेशन विवाद पर क्या बोले?

जब उनसे RSS को एक संस्था के रूप में पंजीकृत करने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने इसका गहरा जवाब दिया। उन्होंने कहा, "संघ कोई क्लब या संस्था नहीं है, यह एक विचार है, एक आंदोलन है। आप किसी विचार को कैसे पंजीकृत कर सकते हैं? संघ भारत की उस प्राचीन संस्कृति का प्रवाह है जो सबको साथ लेकर चलती है।"

उन्होंने समझाया कि RSS किसी ढांचे में बंधकर काम नहीं करता, बल्कि यह समाज के अंदर काम करने वाला एक अनुशासित संगठन है जो चरित्र निर्माण और राष्ट्र सेवा को अपना ध्येय मानता है।

हिन्दुत्व को धर्म नहीं, जीवन शैली बताया

मोहन भागवत ने एक बार फिर हिन्दुत्व की अपनी व्याख्या को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, "हिन्दुत्व कोई पूजा-पद्धति या कर्मकांड नहीं है, यह एक जीवन जीने का तरीका है। यह वह विचार है जो कहता है कि दुनिया एक परिवार है ('वसुधैव कुटुम्बकम्') और सभी के रास्ते भले ही अलग हों, लेकिन मंजिल एक है।" उन्होंने कहा कि जो कोई भी इस विचार को मानता है, वह हिन्दू है, चाहे उसकी पूजा करने का तरीका कुछ भी हो।

भागवत के इस बयान को RSS की विचारधारा और भारत की पहचान को लेकर चल रही बहसों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।

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