भारतीय क्रिकेट का सबसे कड़वा सच ,गौतम गंभीर ने खोला राज़, क्यों घर में भी हार रही है टीम इंडिया?

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News India Live, Digital Desk: जब भी कोई विदेशी टीम भारत दौरे पर आती है, तो 'टर्निंग ट्रैक' यानी स्पिनरों के लिए बनाई गई ख़ास पिच की चर्चा सबसे ज़्यादा होती है। अक्सर यह दांव भारत के पक्ष में ही जाता है। लेकिन, क्या हो अगर यही दांव उल्टा पड़ जाए? कोलकाता के ईडन गार्डन्स में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जहां भारत की अपने ही घर में तैयार की गई घूमती पिच पर हालत खराब हो गई।

इस हार के बाद जहाँ भारतीय बल्लेबाजों की तकनीक पर सवाल उठने लगे, वहीं टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज और अब कोच बनने की कतार में सबसे आगे चल रहे गौतम गंभीर अपने खिलाड़ियों के बचाव में उतर आए हैं।

"असली दुश्मन पिच है, बल्लेबाज नहीं" - गंभीर

गौतम गंभीर ने हमेशा की तरह अपनी बेबाक राय रखते हुए कहा कि इस तरह की हार के लिए पूरी तरह से बल्लेबाजों को दोषी ठहराना गलत है। उन्होंने कहा कि जब आप पहले दिन से ही बहुत ज़्यादा घूमने वाली और unpredictable पिच बनाते हैं, तो आप खेल को किस्मत के भरोसे छोड़ देते हैं। ऐसी पिचों पर दुनिया के बड़े-बड़े बल्लेबाजों के लिए भी रन बनाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

गंभीर ने तर्क दिया कि ऐसी पिचों पर टॉस की भूमिका बहुत बढ़ जाती है, जो टीम पहले बल्लेबाज़ी करती  उसे थोड़ा फायदा मिलता है। उन्होंने साफ कहा कि बल्लेबाजों की आलोचना करने से पहले से यह पूछना चाहिए कि क्या टेस्ट क्रिकेट के लिए ऐसी पिचें चाहते हैं जहाँ खेल तीन दिन में ही खत्म हो जाए।

गुवाहाटी में जो हुआ, कोलकाता में वो क्यों नहीं?

गंभीर ने गुवाहाटी में हुए पिछले मैच का उदाहरण देते हुए अपनी बात को और मजबूती दी, जहाँ एक अच्छी और संतुलित पिच पर भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा, "जब खिलाड़ी अच्छी पिचों पर रन बना सकते हैं, तो समस्या उनकी तकनीक में नहीं, बल्कि उन पिचों में है जो टेस्ट मैच के लायक  हैं।"

उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपनी ताकत (स्पिन गेंदबाजी) पर भरोसा चाहिए इतना खेल को खराब कर दें। एक अच्छी टेस्ट मैच की पिच वह होती है, जहाँ बल्लेबाजों और गेंदबाजों, दोनों के लिए बराबरी का मौका हो।

गंभीर का यह बयान एक बड़ी बहस को जन्म देता  किا भारत को अब हर हाल में जीतने के लिए बहुत ज़्यादा टर्निंग ट्रैक बनाने की अपनी रणनीति पर दोबारा सोचने की ज़रूरत है? या यह सिर्फ एक मैच की बात है जहाँ हमारा दांव उल्टा पड़ गया।

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