भगोड़े विजय माल्या पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, लगाया गया बैन

6e87ea1c209d910a6c9c45384e37a103

जनवरी 2006 से मार्च 2008 तक की अवधि की अपनी जांच में सेबी ने पाया कि माल्या ने अपने समूह की कंपनियों – हर्बर्टसन लिमिटेड और यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) के शेयरों का गुप्त रूप से व्यापार करने के लिए एफआईआई मैटरहॉर्न वेंचर्स का इस्तेमाल किया। इसके लिए विभिन्न विदेशी खातों के माध्यम से धन भेजा गया।

सेबी ने विजय माल्या के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। यह कार्रवाई शेयर बाजार नियामक सेबी ने की है। भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को सिक्योरिटी मार्केट से बैन करने के साथ ही सेबी ने तीन साल के लिए किसी भी लिस्टेड कंपनी से जुड़ने पर भी रोक लगा दी है। यूबीएस एजी के साथ विदेशी बैंक खातों का इस्तेमाल कर भारतीय सिक्योरिटी मार्केट में पैसा भेजने के मामले में सेबी ने यह कार्रवाई की है। भारत सरकार माल्या को उसकी बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े धोखाधड़ी के आरोपों का सामना करने के लिए ब्रिटेन से प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रही है। माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में रह रहा है।

ऐसे भेज रहा था पैसा

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जनवरी 2006 से मार्च 2008 की अवधि की अपनी जांच में पाया कि माल्या ने अपने समूह की कंपनियों – हर्बर्टसन लिमिटेड और यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) के शेयरों का गुप्त रूप से व्यापार करने के लिए विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मैटरहॉर्न वेंचर्स का इस्तेमाल किया। इसके लिए विभिन्न विदेशी खातों के माध्यम से धन भेजा गया। पूर्व शराब कारोबारी माल्या ने यूबीएस एजी के साथ विभिन्न खातों के माध्यम से भारतीय प्रतिभूति बाजार में धन निवेश करने के लिए मैटरहॉर्न वेंचर्स का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए विभिन्न विदेशी संस्थाओं का इस्तेमाल किया।

सेबी का 37 पेज का आदेश

सेबी के आदेश में कहा गया है कि मैटरहॉर्न वेंचर्स को हर्बर्टसन में गलत तरीके से गैर-प्रवर्तक सार्वजनिक शेयरधारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, जबकि इसकी 9.98 प्रतिशत शेयरधारिता प्रवर्तक श्रेणी में थी। सेबी की मुख्य महाप्रबंधक अनीता अनूप ने अपने 37 पन्नों के आदेश में कहा कि इस मामले में नोटिस प्राप्तकर्ता (माल्या) ने अपनी पहचान छिपाते हुए और नियामक मानदंडों की अवहेलना करते हुए भारतीय प्रतिभूति बाजार में व्यापार करने के लिए एफआईआई मार्ग के माध्यम से अपनी विदेशी संबंधित कंपनियों का इस्तेमाल किया।

इस तरह से उसने बहुस्तरीय लेन-देन के माध्यम से अपने ही समूह की कंपनियों के शेयरों में अप्रत्यक्ष रूप से व्यापार करने की योजना बनाई। उन्होंने कहा कि माल्या का यह कृत्य न केवल धोखाधड़ी और भ्रामक है, बल्कि प्रतिभूति बाजार की अखंडता के लिए भी खतरा है। ऐसे में सेबी ने माल्या को प्रतिभूति बाजार में प्रवेश करने से रोक दिया है। उन्हें तीन साल तक किसी भी सूचीबद्ध फर्म में शामिल होने से रोक दिया गया है।