बैंक बार-बार दे रहा है क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का ऑफर? 'हां' कहने से पहले जान लें ये 5 बातें, वरना पछताएंगे

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क्या आपके पास भी बैंक से बार-बार फोन या मैसेज आता है कि "बधाई हो! हम आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट दोगुनी कर रहे हैं"? यह सुनते ही एक पल के लिए खुशी होती है, ऐसा लगता है जैसे हमारी फाइनेंशियल पावर बढ़ गई है। लेकिन रुकिए! यह ऑफर जितना फायदेमंद दिखता है, उतना ही खतरनाक भी साबित हो सकता है।

क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का फैसला लेने से पहले यह समझना बहुत जरूरी है कि यह आपके क्रेडिट स्कोर और आपकी जेब पर कैसे असर डालेगा।

 

लिमिट बढ़ाने के फायदे: क्यों अच्छा है यह ऑफर?

इसका सबसे बड़ा फायदा जुड़ा है आपके क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो (CUR) से। अब यह क्या बला है?

इसे सरल भाषा में समझिए: मान लीजिए आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 1 लाख रुपये है और आप हर महीने 40,000 रुपये खर्च करते हैं। इसका मतलब है कि आप अपनी लिमिट का 40% इस्तेमाल कर रहे हैं।

अब अगर बैंक आपकी लिमिट बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर देता है और आपका खर्च अभी भी 40,000 रुपये ही रहता है, तो अब आप अपनी कुल लिमिट का सिर्फ 20% ही इस्तेमाल कर रहे हैं। क्रेडिट एजेंसियों की नजर में यह एक बहुत अच्छी बात है। उन्हें लगता है कि आप अपनी क्रेडिट को लेकर बहुत जिम्मेदार हैं और लालची नहीं हैं। इससे आपकाक्रेडिट स्कोर सुधरता है।

दूसरा फायदा यह है कि बढ़ी हुई लिमिट आपको किसी इमरजेंसी में बहुत काम आ सकती है।

 

लिमिट बढ़ाने के नुकसान: कब बन जाता है यह एक जाल?

यह ऑफर एक जाल तब बन जाता है, जब बढ़ी हुई लिमिट देखकर आपका मन भी 'बड़ा' हो जाता है।

  1. बड़ा बिल, बड़ा बोझ: अगर आपका खर्च बढ़ गया तो जाहिर है बिल भी बड़ा आएगा। अगर आप समय पर पूरा बिल नहीं चुका पाए, तो भारी ब्याज और पेनल्टी लगेगी, जो आपके क्रेडिट स्कोर को तेजी से नीचे गिरा देगी。
  2. अस्थायी गिरावट: कुछ मामलों में, जब बैंक आपकी लिमिट बढ़ाने की प्रक्रिया करता है, तो आपके क्रेडिट स्कोर में एक छोटी, अस्थायी गिरावट आ सकती है। हालांकि यह कुछ समय में ठीक हो जाती है।

आपको 'हां' कब कहना चाहिए?

अगर आप नीचे दी गई बातों पर खरे उतरते हैं, तो आप इस ऑफर को स्वीकार कर सकते हैं:

  • बिल हमेशा समय पर भरते हैं: आप कभी भी बिल की तारीख नहीं भूलते और हमेशा पूरा अमाउंट चुकाते हैं, सिर्फ 'मिनिमम ड्यू' नहीं।
  • आप अपना क्रेडिट स्कोर सुधारना चाहते हैं: अगर आप अपने खर्चों को कंट्रोल में रखकर सिर्फ अपना यूटिलाइजेशन रेशियो कम करना चाहते हैं, तो यह एक स्मार्ट मूव है।

आपको 'ना' कब कहना चाहिए?

अगर नीचे दी गई बातें आप पर लागू होती हैं, तो इस ऑफर को टाल देना ही समझदारी है:

  • आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है: अगर आपकी नौकरी या बिजनेस स्थिर नहीं है, तो कर्ज का बोझ बढ़ाना समझदारी नहीं है।
  • आप अक्सर बिल चुकाना भूल जाते हैं: अगर आपका रिकॉर्ड पहले से ही खराब है, तो बढ़ी हुई लिमिट इसे और बिगाड़ देगी।

निष्कर्ष:
क्रेडिट लिमिट एक दोधारी तलवार की तरह है। अगर जिम्मेदारी से इस्तेमाल किया जाए, तो यह आपके क्रेडिट स्कोर को चमका सकती है। लेकिन थोड़ी सी भी लापरवाही आपको कर्ज के गहरे दलदल में धकेल सकती है। इसलिए, फैसला पूरी तरह आपकी আর্থিক સમજદારી और अनुशासन पर निर्भर करता है।

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