नोएडा में 'अथॉरिटी राज' खत्म? सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिल्डरों और अफसरों के गठजोड़ पर SIT जांच, नगर निगम बनने की राह भी साफ
दिल्ली से सटा, उत्तर प्रदेश का हाई-टेक शहर नोएडा, अपने इतिहास के सबसे बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। यह बदलाव इतना बड़ा है कि यह न केवल शहर के प्रशासन को, बल्कि यहां रहने वाले लाखों निवासियों की जिंदगी को भी हमेशा के लिए बदल कर रख देगा। एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों और नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्ट अधिकारियों के 'अपवित्र गठजोड़' पर अपना 'हथौड़ा' चलाते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया है, वहीं दूसरी तरफ नोएडा को एक 'नगर निगम' (Municipal Corporation) बनाने की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ लिया है।
यह दोहरी कार्रवाई नोएडा के उन लाखों घर खरीदारों के लिए उम्मीद की एक किरण है, जो सालों से अपने घर का सपना पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं और अथॉरिटी के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं। तो चलिए विस्तार से समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और अगर नोएडा नगर निगम बन गया, तो आपके और हमारे जीवन में क्या कुछ बदल जाएगा।
क्यों पड़ी एसआईटी (SIT) जांच की ज़रूरत? (बिल्डर-अथॉरिटी का 'अपवित्र गठजोड़')
नोएडा और ग्रेटर नोएडा की कहानी चमकदार ऊंची इमारतों के साथ-साथ घर खरीदारों के आंसुओं की कहानी भी है। सालों से यहां के बिल्डरों और अथॉरिटी के अधिकारियों पर मिलीभगत के गंभीर आरोप लगते रहे हैं।
- क्या है यह 'गठजोड़'?: आरोप है कि बिल्डर, अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ सांठगांठ करके नियमों को ताक पर रखते हैं। वे homebuyers से उनकी जीवन भर की कमाई तो ले लेते हैं, लेकिन उन्हें समय पर फ्लैट नहीं देते। प्रोजेक्ट सालों तक अधूरे पड़े रहते हैं, और खरीदार बैंकों की EMI और किराए, दोनों की दोहरी मार झेलते रहते हैं। जब खरीदार अथॉरिटी में शिकायत करने जाते हैं, तो वहां भी उनकी सुनवाई नहीं होती।
- सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: घर खरीदारों की अनगिनत याचिकाओं और अथॉरिटी के ढुलमुल रवैये से तंग आकर अब देश की सर्वोच्च अदालत ने कमान अपने हाथ में ले ली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि इस भ्रष्ट गठजोड़ की जड़ तक पहुंचना जरूरी है। इसीलिए एक SIT का गठन किया गया है, जो इस पूरे नेटवर्क की जांच करेगी और दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाएगी। यह नोएडा के इतिहास में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी जांच होगी।
क्या बदल जाएगा जब नोएडा बनेगा नगर निगम?
अभी तक नोएडा का प्रशासन 'नोएडा अथॉरिटी' चलाती है, जो एक सरकारी विकास प्राधिकरण है। इसके अधिकारी सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और वे सीधे जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते। लेकिन नगर निगम बनने के बाद, नोएडा का पूरा प्रशासनिक ढांचा ही बदल जाएगा।
1. अब आपका अपना मेयर और पार्षद होगा
- अभी क्या है: अभी नोएडा के नागरिक सीधे तौर पर अपना प्रशासक नहीं चुनते। शहर को IAS अधिकारी और अन्य सरकारी अफसर चलाते हैं।
- क्या बदलेगा: नगर निगम बनने के बाद, शहर को अलग-अलग वार्डों में बांटा जाएगा। हर वार्ड से जनता अपना पार्षद (Corporator) चुनेगी और पूरे शहर के लिए एक मेयर (Mayor) का चुनाव होगा। ये चुने हुए प्रतिनिधि सीधे आपकी समस्याओं के लिए जिम्मेदार होंगे।
2. अथॉरिटी राज खत्म, जनता का राज शुरू
- अभी क्या है: सड़क, पानी, सीवर, सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोगों को अथॉरिटी के दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, जहां सुनवाई अक्सर मुश्किल होती है।
- क्या बदलेगा: अब ये सभी काम नगर निगम के अधीन आ जाएंगे। अगर आपकी गली की लाइट खराब ہے या सड़क टूटी है, तो आप सीधे अपने चुने हुए पार्षद से शिकायत कर सकेंगे। अगर पार्षद काम नहीं करता, तो अगले चुनाव में आप उसे वोट नहीं देंगे। यह सीधी जवाबदेही नोएडा के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव होगा।
3. अब देना होगा 'प्रॉपर्टी टैक्स' (Property Tax)
- अभी क्या है: नोएडा भारत के उन चुनिंदा शहरों में से है जहां लोगों को सीधे तौर पर कोई हाउस टैक्स या प्रॉपर्टी टैक्स नहीं देना पड़ता है। अथॉरिटी बिल्डरों से लीज रेंट और अन्य शुल्कों से अपना खर्च चलाती है।
- क्या बदलेगा: यह सबसे बड़ा बदलाव होगा। नगर निगम बनने के बाद, शहर के विकास और सुविधाओं को चलाने के लिए हर प्रॉपर्टी मालिक को सालाना प्रॉपर्टी टैक्स देना होगा। इसी टैक्स के पैसे से आपकी सड़कों, पार्कों और नालियों का रखरखाव होगा।
4. शहर का विकास और रखरखाव बेहतर होगा
- अभी क्या है: अथॉरिटी का मुख्य फोकस बड़े प्रोजेक्ट्स और जमीन आवंटन पर रहा है। कई बार शहर के अंदरूनी सेक्टरों के रखरखाव पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता।
- क्या बदलेगा: नगर निगम का एकमात्र काम शहर के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं देना होता है। इससे उम्मीद है कि शहर की साफ-सफाई, कूड़ा प्रबंधन और अन्य नागरिक सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार होगा।
संक्षेप में, सुप्रीम कोर्ट की SIT जांच जहां पुराने जख्मों पर मरहम लगाने का काम करेगी, वहीं नगर निगम का गठन नोएडा को एक ऐसा भविष्य देगा जहां सत्ता की चाबी अधिकारियों के हाथ में नहीं, बल्कि सीधे जनता के हाथ में होगी।
--Advertisement--