चित्रकूट, 08 मार्च (हि.स.)। भगवान श्री राम की तपोस्थली एवं संकल्प भूमि में 51वां राष्ट्रीय रामायण मेला का उद्घाटन पूर्वाम्नाय गोवर्द्धन पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानन्द देवतीर्थ पुरी व अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत स्वामी राजू दास महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य अतिथि रहे अयोध्या हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास महाराज ने धर्म रक्षति रक्षितः की सनातन संस्कृति पर चर्चा करते हुए कहा कि आप धर्म की रक्षा करेंगे तो संकट में धर्म आपकी अचानक रक्षा करेगा।
उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए क्रांतिकारी महंत राजू दास ने कहा कि हमारी संस्कृति में देवताओं की कमी नहीं। चाहे जिस देवता की पूजा करें वह सनातन संस्कृति से जुडी हुई पूजा है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम का मंदिर बनाने में पांच सौ वर्ष लग गए। अब मथुरा और काशी की बारी है। अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि अयोध्या में सैकडों मंदिरों के बीच मस्जिद में पांचो प्रहर की नमाज माइक से की जाती है। अभी तक माइक नहीं उतारा गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्वाम्नाय गोवर्द्धन पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी अधोक्षजानन्द महाराज पुरी ने कहा कि धर्म सर्वोपरि होना चाहिए। धर्म जागृति का कार्य संतो-महंतो को करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने के बाद वहां भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। उन्होंने अखंड भारत की चर्चा करते हुए कहा कि अब अखंड होने वाला है। नया संसद भवन इसका नक्शा है। पूर्व के दौरान अखंड भारत के कई टुकडे कर दिए गए थे। वह टुकडे अब जुड़ने का समय आ चुका है। उन्होंने बताया कि देश के नौ राज्य अल्पसंख्यक जरूर हो गए हैं। कहा कि साधु संतो, विद्वतजनों को प्रियवचन एवं परहित के कार्य कर धर्म स्थापित करने का कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 51 का अंक बहुत शुभ है। यह राष्ट्रीय रामायण मेला 51वां होने के चलते देश का कल्याणकारी होगा। सारा संसार भगवान के अधीन है। भगवान भक्ति के अधीन है। उन्होंने मानव जीवन को दुर्लभ बताया। रामायण मेला परिकल्पना करने वाले डा0 लोहिया के व्यक्तित्व को महान बताया। उन्होंने प्रभु श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने की जो परिकल्पना की थी वह साकार होती नजर आ रही है।
इसके पूर्व चित्रकूट परिक्षेत्र के साधु-संतो, महंतो के निशान, हाथी, घोडे शोभायात्रा के साथ मेला प्रांगण पहुंचा। जहां मेले के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया ने निशानों व गज पूजा आरती की। शोभायात्रा में भागीदारी कर रहे संतो, महंतों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।