तेलंगाना में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में हुए हादसे के बाद आठ मजदूर बीते पांच दिनों से फंसे हुए हैं। बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। सुरंग में लगातार पानी और कीचड़ आने के कारण राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो भी उन्हें बचाने में सफल नहीं हो सके।
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कैसे हुआ हादसा?
एसएलबीसी सुरंग परियोजना एक सिंचाई योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य श्रीसैलम जलाशय से तेलंगाना के नालगोंडा जिले तक पानी पहुंचाना है। 22 फरवरी को सुरंग की खुदाई के दौरान अचानक छत का एक हिस्सा ढह गया, जिससे वहां काम कर रहे आठ मजदूर अंदर फंस गए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरंग के ऊपर की पहाड़ियों से पानी रिसने के कारण मिट्टी धीली हो गई थी, जिससे यह हादसा हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इलाका पहले से ही मिट्टी धंसने के लिए संवेदनशील था और ड्रिलिंग से यह खतरा और बढ़ गया।
बचाव अभियान में आ रही हैं चुनौतियाँ
- लगातार पानी और कीचड़ भरने के कारण बचाव दल के लिए मजदूरों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है।
- फंसे हुए मजदूरों से कोई संपर्क नहीं हो सका और न ही उन्हें कोई भोजन या पानी पहुंचाया जा सका है।
- मिट्टी और छत के और भी धंसने का खतरा बना हुआ है, जिससे बचाव अभियान बार-बार रोकना पड़ रहा है।
- अब बचाव टीम ने सूंघने वाले कुत्तों की मदद से मजदूरों का पता लगाने की कोशिश शुरू की है।
बार-बार क्यों हो रहे हैं ऐसे हादसे?
बीते एक साल में यह तीसरा बड़ा सुरंग हादसा है:
- उत्तरकाशी (उत्तराखंड), नवंबर 2023: सिल्क्यारा सुरंग के ढहने से 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें 16 दिनों बाद सुरक्षित निकाला गया।
- असम, जनवरी 2025: दीमा हसाओ जिले में अवैध खदान में पानी घुसने से 9 खनिक फंस गए थे। 44 दिनों तक चले बचाव अभियान के बावजूद सभी मजदूरों के गले हुए शव ही बरामद हुए।
इन हादसों से सवाल उठता है कि क्या ऐसे प्रोजेक्ट्स को बिना पूरी सुरक्षा के हरी झंडी दी जा रही है? तेलंगाना के उप-मुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्का मल्लू ने आश्वासन दिया है कि सरकार आठों मजदूरों को बचाने के लिए पूरी कोशिश करेगी। लेकिन यह हादसा देश में निर्माण परियोजनाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।