परिसीमन को लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का BJP पर हमला, सर्वदलीय बैठक की मांग

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने 2026 में प्रस्तावित परिसीमन के मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन का समर्थन किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा परिसीमन के जरिए दक्षिणी राज्यों से राजनीतिक बदला लेना चाहती है।

रेड्डी ने केंद्र सरकार से इस विवादित मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है।

रेवंत रेड्डी का BJP पर सीधा हमला

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए रेवंत रेड्डी ने कहा कि परिसीमन के जरिए भाजपा दक्षिण के राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व कम करना चाहती है।

“भाजपा जनसंख्या के आधार पर परिसीमन करना चाहती है, जिससे दक्षिण भारतीय राज्यों की लोकसभा सीटें घट सकती हैं।”

“दक्षिण के राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी रूप से लागू किया है, जबकि उत्तर भारतीय राज्यों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। ऐसे में परिसीमन से दक्षिण का नुकसान और उत्तर का फायदा होगा।”

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BJP पर दक्षिण को कमजोर करने का आरोप

रेड्डी ने कहा:
“दक्षिण में भाजपा का कोई मजबूत प्रतिनिधित्व नहीं है, इसलिए वह परिसीमन के जरिए बदला लेना चाहती है।”
“यह एक सोची-समझी साजिश है, जिससे संसद में दक्षिण भारतीय राज्यों का प्रभाव कम किया जा सके और उत्तर भारतीय राज्यों को फायदा पहुंचाया जाए।”

लोकसभा चुनाव में भाजपा का दक्षिण भारत में खराब प्रदर्शन

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 240 सीटें जीतीं, लेकिन दक्षिण भारत में सिर्फ 29 सीटें ही हासिल कर पाई।
भाजपा दक्षिण के किसी भी राज्य में सत्ता में नहीं है।
आंध्र प्रदेश में वह चंद्रबाबू नायडू की सरकार में एक जूनियर पार्टनर के रूप में शामिल है और 175 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ 8 सीटें ही जीत पाई।

स्टालिन ने 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र

रेड्डी का यह बयान तब आया है, जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर परिसीमन के खतरों के प्रति आगाह किया।

स्टालिन ने 22 मार्च 2025 को चेन्नई में एक संयुक्त बैठक (JAC) बुलाने का प्रस्ताव रखा है।
उन्होंने इन राज्यों से “बिना समझौता किए” इस परिसीमन के खिलाफ लड़ने का आग्रह किया है।

क्या दक्षिण बनाम उत्तर की राजनीति होगी तेज़?

भाजपा परिसीमन के जरिए दक्षिण को कमजोर करने के आरोपों को खारिज करती आई है।
लेकिन स्टालिन और रेड्डी जैसे नेता इसे राजनीतिक हथियार बना रहे हैं।
अगर परिसीमन पर सहमति नहीं बनी, तो यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले सकता है।