रुद्रप्रयाग, 12 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली में केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण को लेकर तीर्थ पुरोहित समाज एवं केदारघाटी की जनता में आक्रोश पनप गया है। उनका कहना है कि केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत के देहरादून में निधन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उन्हें श्रद्धांजलि देने के तुरंत बाद सीधे दिल्ली गए और उन्होंने वहां केदारनाथ मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया। केदारनाथ विधायक के अंतिम संस्कार से पहले इस तरह से केदारनाथ मंदिर का शिलान्यस करना, यह किसी दुर्भाग्य से कम नहीं है। आक्रोशित तीर्थ पुरोहित समाज एवं स्थानीय लोगाें ने शुक्रवार को ऊखीमठ में सीएम धामी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मामले में जल्द स्पष्टीकरण देने की मांग की। साथ ही सीएम धामी पर गढ़वाल-कुमाऊं की राजनीति करने का भी आरोप लगाया।
श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली की ओर से गत 10 जुलाई को बुराड़ी दिल्ली में केदारनाथ धाम भूमि पूजन समारोह का आयोजन किया गया। जिस दिन यह आयोजन हुआ, उससे एक दिन पहले 9 जुलाई देर रात को केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का भी निधन हो गया था। ऐसे में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहले दिवंगत विधायक शैलारानी को देहरादून में श्रद्धांजलि दी और फिर इसके बाद दिल्ली के लिए रवाना हुए। यहां उन्होंने श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट दिल्ली की ओर से बनाए जा रहे केदारनाथ धाम निर्माण को लेकर आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लिया। देहरादून में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कुछ तीर्थ पुरोहित भी मौजूद थे तो उन्होंने सीएम को दिल्ली के लिए निकलते हुए देखा। जब तीर्थ पुरोहित केदारघाटी पहुंचे तो उन्होंने पूरी जानकारी तीर्थ पुरोहित समाज और केदारघाटी की जनता को दी। जिसके बाद से तीर्थ पुरोहित समाज और केदारघाटी की जनता में दिल्ली में केदारनाथ धाम बनाये जाने को लेकर आक्रोश बना हुआ है।
चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा कि केदारनाथ विधायक के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार होने से पहले ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली जाकर केदारनाथ धाम निर्माण को लेकर शिलान्यास किया। यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि केदारनाथ क्षेत्र की विधायक के निधन के समय दिल्ली में मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया गया। केदारनाथ धाम से शिला को ले जाकर दिल्ली में स्थापित करके सीएम धामी ने धाम की परम्परा के साथ खिलवाड़ किया है। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
वन पंचायत सरपंच पवन राणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री धामी गढ़वाल क्षेत्र के साथ भेदभाव कर रहे हैं। केदारनाथ धाम की यात्रा में पंजीकरण की अनिवार्यता करके हजारों तीर्थयात्रियों को कुमाऊं के धामों में भेजा गया। इससे केदारनाथ धाम की यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी कमी देखने को मिली। उन्होंने कहा कि गढ़वाल क्षेत्र के लोगों के रोजगार को लेकर सरकार ने कोई भी ठोस प्रयास नहीं किए हैं जो रोजगार केदारनाथ धाम की वजह से है उसे भी छिनने का प्रयास किया जा रहा है।