आंसू, गुस्सा और एक 'भविष्यवाणी'... RJD के बागी नेता की वो बात जो सच हो गई

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राजनीति में दावे और वादे तो बहुत होते हैं, लेकिन कभी-कभी किसी नेता का गुस्सा और उसके आंसू भी इतिहास लिख जाते हैं। बिहार चुनाव 2025 के नतीजों के बाद कुछ ऐसी ही कहानी हर किसी की जुबान पर है। यह कहानी है RJD के एक बागी नेता मदन शाह की, जिनकी कैमरे पर की गई एक भविष्यवाणी आज सच साबित हो गई है, और उनका रोते हुए वीडियो एक बार फिर वायरल हो रहा है।

तो कौन हैं मदन शाह और उस दिन हुआ क्या था?

आइए, आपको थोड़ा पीछे ले चलते हैं, जब चुनाव के लिए टिकट बांटे जा रहे थे। मदन शाह, मधुबन विधानसभा सीट से RJD के एक मजबूत दावेदार थे। लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया।

इसके बाद जो हुआ, वह बिहार की राजनीति का शायद सबसे नाटकीय सीन था। मदन शाह सीधे लालू-राबड़ी आवास के बाहर पहुंच गए और वहीं फूट-फूटकर रोने लगे। गुस्से और दुख में उन्होंने अपने कपड़े तक फाड़ लिए।

और फिर रोते हुए उन्होंने मीडिया के कैमरों के सामने जो कहा, उस पर शायद तब किसी ने यकीन नहीं किया होगा। उन्होंने कहा था:

"राजद 25 सीट पर सिमट जाएगी… तेजस्वी बहुत घमंडी हैं, किसी से मिलते ही नहीं… संजय यादव टिकट बेच रहा है।"

उस वक्त लोगों को लगा कि यह सिर्फ एक नेता का गुस्सा है, जो टिकट न मिलने पर निकला है। लेकिन कौन जानता था कि यह सिर्फ गुस्सा नहीं, बल्कि आने वाले नतीजों का सच था।

और फिर आया रिजल्ट का दिन...

चुनाव के नतीजे आए, और सब हैरान रह गए! RJD का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। पार्टियां अपनी-अपनी सीटों का हिसाब लगा रही थीं, लेकिन एक आंकड़ा ऐसा था, जिसने सबको चौंका दिया। RJD ठीक 25 सीटों पर आकर रुक गई।

न एक सीट ज़्यादा, न एक सीट कम।

मदन शाह की भविष्यवाणी सच हो चुकी थी। जिस नेता को लोग एक टिकट के लिए रोने वाला समझ रहे थे, उसकी बात पत्थर की लकीर साबित हुई थी।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती...

और भी दिलचस्प बात यह है कि जिस मधुबन सीट से मदन शाह लड़ना चाहते थे, वहां भी RJD हार गई। पार्टी ने जिस संतोष कुशवाहा की पत्नी संध्या रानी को टिकट दिया, वह बीजेपी के राणा रंधीर से चुनाव हार गईं। यानी, जिस सीट के लिए इतना बवाल हुआ, वो भी RJD के हाथ से निकल गई।

अब चुनाव के नतीजों के बाद सोशल मीडिया पर मदन शाह का वही रोते हुए बयान वाला वीडियो फिर से आग की तरह फैल रहा है। लोग कह रहे हैं, "नेता जी ने जो कहा था, वही हुआ!"

मदन शाह ने उस वक्त RJD के अंदर चल रही गड़बड़ियों और टिकट बेचने के जो आरोप लगाए थे, इस करारी हार के बाद अब वे आरोप और भी गहरे लगने लगे हैं। यह कहानी सिर्फ एक भविष्यवाणी के सच होने की नहीं है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक पार्टी जब अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करती है, तो नतीजा क्या होता है।

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