केंद्र सरकार आम टैक्सी चालकों के लिए एक बेहद फायदेमंद योजना लेकर आ रही है। जल्द ही ओला और उबर जैसे ऐप-बेस्ड टैक्सी मॉडल की तर्ज पर एक सहकारी टैक्सी सेवा शुरू होने जा रही है, लेकिन इसमें एक बड़ा अंतर होगा—इसका पूरा लाभ सीधे ड्राइवरों को मिलेगा, किसी बड़े उद्योगपति को नहीं। यह योजना न सिर्फ टैक्सी चालकों की कमाई बढ़ाएगी, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगी।
कैसे काम करेगी यह सहकारी टैक्सी सेवा?
नई सहकारी टैक्सी सेवा में दोपहिया और चारपहिया दोनों तरह की टैक्सियां शामिल होंगी। इस प्लेटफॉर्म को चलाने वाली संस्था कोई निजी कंपनी नहीं, बल्कि ड्राइवरों की खुद की सहकारी संस्था होगी। इसका मतलब, जो कमाई होगी, वो सीधे उन्हीं लोगों के पास पहुंचेगी जो इस सेवा को चला रहे हैं—यानी टैक्सी चालक। इससे बिचौलियों और भारी कमीशन लेने वाली कंपनियों से छुटकारा मिलेगा।
बीमा सेक्टर में भी क्रांति की तैयारी
लोकसभा में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि सरकार एक सहकारी बीमा कंपनी भी शुरू करने जा रही है। इस कंपनी का मकसद निजी बीमा कंपनियों के मुकाबले ज्यादा पारदर्शिता और कम प्रीमियम में बेहतर सुविधाएं देना होगा। आने वाले समय में यह देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनियों में से एक बन सकती है। इसका लाभ छोटे व्यापारियों, किसानों और आम नागरिकों को मिलेगा।
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय: सहकारिता को मिलेगा शिक्षित नेतृत्व
अमित शाह ने संसद में यह भी घोषणा की कि एक नया विश्वविद्यालय—त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय—की स्थापना की जाएगी। यह विश्वविद्यालय अमूल के संस्थापक त्रिभुवन दास पटेल को समर्पित होगा। उनका योगदान भारत की सहकारी क्रांति में ऐतिहासिक रहा है। यह विश्वविद्यालय सहकारी संस्थाओं को बेहतर मानव संसाधन देने के लिए डिग्री, डिप्लोमा और पीएचडी कोर्स उपलब्ध कराएगा।
हर पंचायत में खोली जाएगी PACS शाखा
सरकार का उद्देश्य है कि देश की हर ग्राम पंचायत में एक प्राथमिक कृषि ऋण समिति (PACS) हो। अमित शाह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हर पंचायत स्तर पर यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी, ताकि किसानों और ग्रामीणों को कर्ज लेने में आसानी हो और वे शोषण से बच सकें। इससे गांवों में रोजगार और आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
‘सहकार से समृद्धि’ का नारा बन रहा है हकीकत
अमित शाह ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘सहकार से समृद्धि’ सिर्फ नारा नहीं, बल्कि एक ग्राउंड लेवल मिशन है। सहकारी टैक्सी सेवा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिससे हज़ारों टैक्सी चालकों को सीधे फायदा मिलेगा। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि उन्हें आत्मसम्मान के साथ काम करने का अवसर भी मिलेगा।
गुजरात में होगा मुख्यालय, लेकिन सेवा पूरे देश में
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय भले ही गुजरात में स्थित होगा, लेकिन इसका कार्यक्षेत्र पूरे भारत में फैलेगा। हर राज्य में सहकारी संस्थाएं इससे जुड़ सकेंगी और प्रशिक्षित स्टाफ की मदद से संचालन बेहतर होगा। इससे सहकारी क्षेत्र को पेशेवर और आधुनिक दिशा में बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बीमा और स्वास्थ्य योजनाएं भी होंगी और सशक्त
सरकार न केवल ट्रांसपोर्ट और सहकारिता क्षेत्रों में काम कर रही है, बल्कि हेल्थ सेक्टर में भी बदलाव ला रही है। अमित शाह ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत दिल्ली में गरीबों को पहले ही 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में यह सुविधा अभी तक लागू नहीं हो पाई है। उन्होंने भरोसा जताया कि भविष्य में वहां भी यह योजना लागू होगी।