टाटा की कैपिटल फूड्स बनाम डाबर: ‘शेजवान चटनी’ ट्रेडमार्क विवाद हाई कोर्ट में पहुंचा

Capital Foods Vs Dabur India Ove

भारत की दो दिग्गज कंपनियां, टाटा समूह की कैपिटल फूड्स लिमिटेड और डाबर इंडिया, ‘शेजवान चटनी’ को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझ गई हैं। यह विवाद ट्रेडमार्क और बौद्धिक संपदा अधिकारों के कथित उल्लंघन से जुड़ा है।

क्या है मामला?

कैपिटल फूड्स लिमिटेड, जो बाजार में अपनी प्रसिद्ध ‘चिंग्स शेजवान चटनी’ बेचती है, ने आरोप लगाया है कि डाबर इंडिया ने भी इसी नाम से अपना उत्पाद उतारकर उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है।

कैपिटल फूड्स का दावा:

  • कंपनी ने ‘शेजवान चटनी’ का ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराया है।
  • उन्होंने इस ब्रांड के प्रमोशन और ब्रांडिंग में भारी निवेश किया है।
  • उपभोक्ताओं के बीच यह उत्पाद ‘चिंग्स शेजवान चटनी’ के रूप में पहचाना जाता है।

डाबर की कार्रवाई:

  • डाबर ने ‘शेजवान 2024’ नाम से अपने उत्पाद को बाजार में उतारा।
  • उन्होंने अक्टूबर 2024 में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन को रद्द कराने के लिए याचिका दायर की।

कैपिटल फूड्स की शिकायत और हाई कोर्ट की प्रतिक्रिया

कैपिटल फूड्स ने डाबर इंडिया पर उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

  • अदालत ने डाबर इंडिया को नोटिस जारी किया है।
  • जस्टिस मिनी पुष्करना ने मामले की अगली सुनवाई फरवरी के अंतिम सप्ताह में तय की है।

कैपिटल फूड्स के तर्क

  1. ट्रेडमार्क का दुरुपयोग:
    • कैपिटल फूड्स का कहना है कि डाबर की पैकेजिंग पर ‘शेजवान चटनी’ को प्रमुखता से लिखा गया है।
    • इस डिजाइन ने उपभोक्ताओं के बीच भ्रम पैदा किया है कि डाबर का उत्पाद कैपिटल फूड्स से जुड़ा हुआ है।
  2. बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन:
    • कंपनी ने अपने डिजाइनों और ट्रेडमार्क को सुरक्षित रखने के लिए कानूनी कार्रवाई की है।
    • उनका दावा है कि ‘शेजवान चटनी’ शब्द से उपभोक्ता सीधे चिंग्स ब्रांड को पहचानते हैं।

डाबर का रुख और रणनीति

  • डाबर ने अक्टूबर 2024 में ‘शेजवान चटनी’ ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के लिए याचिका दायर की।
  • उनकी याचिका पर सुनवाई 5 फरवरी को होनी है।
  • कंपनी का तर्क है कि ‘शेजवान चटनी’ एक सामान्य नाम है और इसे एक ब्रांड विशेष का ट्रेडमार्क नहीं माना जा सकता।

कानूनी विवाद का मुख्य बिंदु

यह विवाद ट्रेडमार्क कानून और बौद्धिक संपदा अधिकारों की जटिलताओं को उजागर करता है।

  • कैपिटल फूड्स: उनका ट्रेडमार्क और ब्रांडिंग पहले से स्थापित है।
  • डाबर: ‘शेजवान चटनी’ एक सामान्य नाम है, जिसे ट्रेडमार्क नहीं किया जा सकता।

क्या हो सकता है असर?

  1. ब्रांड पहचान पर प्रभाव:
    • अगर कैपिटल फूड्स का पक्ष मजबूत होता है, तो डाबर को अपने उत्पाद का नाम और ब्रांडिंग बदलनी पड़ सकती है।
  2. बाजार में प्रतिस्पर्धा:
    • यह विवाद तय करेगा कि उत्पाद के नाम पर ट्रेडमार्क कानून कितना प्रभावी है।
  3. उपभोक्ता भ्रम:
    • अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि उपभोक्ताओं के बीच भ्रम न हो और किसी ब्रांड को अनुचित लाभ न मिले।