प्रयागराज बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, राज्य सरकार को दी चेतावनी

A view of supreme court of india

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सरकारी बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को न सिर्फ अपने घर दोबारा बनाने की इजाजत दी है, बल्कि राज्य सरकार को भी सख्त हिदायत दी है। अदालत ने कहा कि प्रशासन द्वारा जबरदस्ती घर गिराने की कार्रवाई अनुचित थी और प्रभावित लोगों को अपने घर फिर से बनाने का अधिकार दिया जाना चाहिए।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनके घरों को प्रशासन ने गैंगस्टर अतीक अहमद की संपत्ति मानकर ध्वस्त कर दिया था। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि वे कानूनी रूप से जमीन के मालिक थे और इस कार्रवाई में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

अतीक अहमद, जो एक कुख्यात अपराधी था, की 2023 में हत्या कर दी गई थी। प्रशासन ने उसकी अवैध संपत्तियों पर कार्रवाई करते हुए कई इमारतों को तोड़ा था, लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनके घर अवैध नहीं थे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: घर दोबारा बनाने की अनुमति

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ताओं को अपने खर्च पर घर फिर से बनाने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं—

  1. अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करनी होगी।

  2. यदि अपील खारिज हो जाती है, तो घरों को दोबारा गिराने का खर्च भी याचिकाकर्ताओं को ही वहन करना होगा।

कोर्ट ने साफ कहा,
“हम एक आदेश पास करेंगे कि वे अपने खर्च पर घर दोबारा बना सकते हैं, लेकिन अगर अपील खारिज हो जाती है, तो उन्हें इसे फिर से अपने ही खर्च पर गिराना होगा।”

24 घंटे में ढहाए गए घर: याचिकाकर्ताओं का आरोप

इलाहाबाद हाईकोर्ट में राहत न मिलने के बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने आधी रात को नोटिस जारी किया और अगले ही दिन उनके घरों को गिरा दिया गया, जिससे उन्हें कोई कानूनी कार्यवाही करने का मौका ही नहीं मिला।