चुनाव में ‘मुफ़्त उपहार’ के वादे पर सुप्रीम का सख्त रुख

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सुप्रीम कोर्ट जनहित याचिका को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया है। दरअसल, राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों में मुफ्त उपहार देने के वादों की प्रथा के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है। लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल से होना है. अन्य चरणों की तारीखों की घोषणा कर दी गई है.

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने बुधवार को कहा कि सुनवाई कल भी जारी रखना जरूरी है. जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने तर्क दिया कि याचिका पर लोकसभा चुनाव से पहले सुनवाई की जरूरत है। कोर्ट ने उस बात पर गौर किया.

याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने का वादा करने का फैसला संविधान के अनुच्छेद-14, 162, 266 (3) और 282 का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि चुनाव आयोग ऐसे राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न जब्त कर ले और अदालत को पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश दे. याचिकाकर्ता का कहना है कि राजनीतिक दल सार्वजनिक धन की मदद से मुफ्त उपहारों के अनुचित वादे करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते हैं, जो रिश्वतखोरी और चुनावों पर अनुचित प्रभाव डालने के समान है।