पोर्न वीडियो डाउनलोड करना या देखना अपराध है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (हि.स.)। पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना पॉक्सो और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) अधिनियम के तहत अपराध है या नहीं, इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि बच्चे का पोर्न देखना अपराध नहीं हो सकता है लेकिन बच्चे का पोर्नोग्राफी में इस्तेमाल किया जाना अपराध होगा।

एनजीओ जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि केवल किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या उसे देखना कोई अपराध नहीं है। यह पॉक्सो अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी से वीडियो का मिलना पॉक्सो कानून की धारा 15 का उल्लंघन नहीं है लेकिन अगर आप इसे देखते हैं और दूसरों को भेजते हैं तो यह कानून के उल्लंघन के दायरे में आएगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि सिर्फ इसलिए वह अपराधी नहीं हो जाता कि उसे वीडियो किसी ने भेज दिया है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि व्हाट्सऐप पर चाइल्ड पोर्न को रिसीव करना अपराध नहीं है। जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि क्या वीडियो को दो साल तक अपने मोबाइल फोन में रखना अपराध है। तब वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का ने कहा कि अधिनियम कहता है कि यदि कोई वीडियो या फोटो है तो आपको उसे हटाना होगा, जबकि आरोपित लगातार वीडियो देख रहे थे। जब आरोपित के वकील ने वीडियो के ऑटो डाउनलोड होने की दलील दी तो चीफ जस्टिस ने कहा कि अधिनियम में संशोधन के बाद यह भी अपराध हो गया है।

पारदीवाला ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या इस मामले में आरोपित ने साइट पर वीडियो अपलोड किया था या उन्हें किसी तीसरे पक्ष ने वीडियो मुहैया कराया था। उन्होंने पूछा कि अगर उन्हें यह वीडियो अपने दोस्त से मिला है तो क्या हम कह सकते हैं कि उसने वीडियो अपलोड किया है। सवाल यह है कि क्या किसी के जरिये भेजे गए चाइल्ड पोर्न को डाउनलोड करना पॉक्सो कानून के तहत अपराध है। कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को अपनी लिखित दलीलें 22 अप्रैल तक दाखिल करने को कहा।