संसद और विधानसभाओं में नेताओं के बर्ताव पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता: सम्मानजनक व्यवहार की दी नसीहत

Supreme Court Of India Pti Pho

संसद और विधानसभाओं में नेताओं के असंयमित आचरण पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। सोमवार को बिहार से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि कई नेता यह भूल गए हैं कि आलोचना और असहमति व्यक्त करने के दौरान सम्मानजनक व्यवहार कैसे किया जाता है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने सदन के सदस्यों से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे के प्रति सम्मान बनाए रखें। यह टिप्पणी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता सुनील कुमार सिंह की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई। याचिका में बिहार विधान परिषद के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें सिंह को सदन में दुर्व्यवहार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री करने के आरोप में निष्कासित किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

‘सम्मानपूर्वक आलोचना करें’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आलोचना और असहमति व्यक्त करने के दौरान सम्मानजनक भाषा और व्यवहार का पालन करना चाहिए। अदालत ने याद दिलाया कि लोकतंत्र में असहमति का भी एक आदर्श तरीका होना चाहिए।

फ्रीडम ऑफ स्पीच का दुरुपयोग
सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सदन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत की। इस पर अदालत ने कहा,
“क्या सदन के अंदर फ्रीडम ऑफ स्पीच का ऐसा उपयोग होता है? क्या आप अपने विरोधियों के खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं?”

सिंघवी ने इस प्रकार की भाषा के उपयोग से इनकार किया और कहा कि एक अन्य सदस्य द्वारा आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल करने पर केवल निलंबन किया गया था, लेकिन सुनील कुमार सिंह को निष्कासित कर दिया गया।

सुनील कुमार सिंह पर क्या हैं आरोप?

सुनील कुमार सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बिहार विधान परिषद के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री कर उनका मजाक उड़ाया।

  • दुर्व्यवहार का मामला: राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री के खिलाफ दुर्व्यवहार और अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया गया।
  • जांच समिति की रिपोर्ट: मामले की जांच के लिए बनी समिति ने वीडियो साक्ष्यों की जांच के बाद सिंह पर लगे आरोपों को सही पाया।
  • सदस्यता रद्द: बिहार विधान परिषद के उपसभापति रामवचन राय ने आचार समिति की सिफारिश पर सिंह की सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव रखा।

चुनाव की उलझन

सिंह के निष्कासन के बाद निर्वाचन आयोग ने उनकी सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर दी। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से अपील की कि जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो चुनाव पर रोक लगाई जाए।

  • संभावित विवाद: सिंघवी ने कहा, “अगर उपचुनाव हो जाते हैं और सुप्रीम कोर्ट बाद में निष्कासन को रद्द कर देता है, तो स्थिति उलझ जाएगी।”
  • अदालत का रुख: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन मामले की अंतिम सुनवाई 9 जनवरी को करने का फैसला लिया।

सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

संसद और विधानसभाओं में अनुशासनहीनता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेताओं का आचरण लोकतंत्र का आईना होता है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि जनता के प्रतिनिधियों को अपने शब्दों और कार्यों में संयम रखना चाहिए।

समस्याओं का समाधान आवश्यक

  • नेताओं का अनुशासन: सुप्रीम कोर्ट ने सदस्यों को यह याद दिलाने की कोशिश की कि सदन में उनके बर्ताव से लोकतंत्र की गरिमा प्रभावित होती है।
  • लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा: सदन में असहमति व्यक्त करना हर सदस्य का अधिकार है, लेकिन इसका तरीका मर्यादित और सम्मानजनक होना चाहिए।