सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की अनिश्चितकालीन हिरासत पर उठाए सवाल, केंद्र से मांगा जवाब

The Supreme Court Ani 1738636

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को अनिश्चितकालीन रूप से हिरासत में रखने पर चिंता व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि इन्हें उनके देश भेजने के बजाय सुधार गृहों में लंबे समय तक क्यों रखा जा रहा है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट किया कि विदेशी अधिनियम, 1946 के तहत दोषी ठहराए गए प्रवासियों को सजा पूरी होते ही निर्वासित किया जाना चाहिए।

अदालत ने सरकार से यह जानकारी मांगी कि सजा पूरी होने के बावजूद विभिन्न सुधार गृहों में अभी कितने अवैध प्रवासियों को हिरासत में रखा गया है। न्यायालय ने करीब 850 प्रवासियों की अनिश्चितकालीन हिरासत को लेकर गंभीर चिंता जताई और 2009 के परिपत्र के खंड 2(v) के अनुपालन में विफलता पर सवाल उठाया, जो 30 दिनों के भीतर निर्वासन की प्रक्रिया पूरी करने का प्रावधान करता है।

मामले की पृष्ठभूमि और न्यायालय की सख्त टिप्पणी

यह मामला माजा दारूवाला बनाम भारत संघ से जुड़ा है, जो 2013 में कलकत्ता उच्च न्यायालय से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित हुआ था। 2011 में दाखिल याचिका में दावा किया गया था कि कई अवैध बांग्लादेशी प्रवासी अपनी सजा पूरी करने के बावजूद पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में कैद हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट भेज दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए पश्चिम बंगाल सरकार से क्या कदम अपेक्षित हैं। अदालत ने मौजूदा दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर नाराजगी जताते हुए तेजी से निर्वासन की आवश्यकता को दोहराया। इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।