सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपित अनिल टूटेजा के खिलाफ मनी लांड्रिंग मामले में ईडी के तौर-तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई 

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नई दिल्ली, 6 दिसंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपित अनिल टूटेजा के खिलाफ मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार करने के ईडी के तौर-तरीके पर कड़ी आपत्ति जताई है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने ईडी को निर्देश दिया कि वो मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत आरोपित के बयान दर्ज करने को लेकर आंतरिक दिशानिर्देश जारी करें कि बयान देर रात दर्ज नहीं किए जाएं और वे दिन में ही कार्यालयों के समय के मुताबिक दर्ज किए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने ये नोट किया कि 20 अप्रैल को अनिल टूटेजा एंटी करप्शन ब्यूरो के रायपुर दफ्तर में साढ़े चार बजे बैठे हुए थे। उन्हें दोपहर बारह बजे ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेजा और उन्हें साढ़े पांच बजे पूछताछ के लिए बुलाया। उसके बाद ईडी अनिल टूटेजा को एक वैन में अपने दफ्तर लेकर गई। वहां अनिल टूटेजा से देर रात तक पूछताछ की गई और गिरफ्तारी अगले दिन 4 बजे सुबह की दिखाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी का काम करने का ये माफी लायक नहीं है।

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि इस तरह के तरीके को रोकने के लिए निरोधात्मक उपाय किए गए हैं। सुनवाई के दौरान टूटेजा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को टूटेजा के खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग मामले को निरस्त कर दिया था। उसके तीन दिनों के बाद उसी केस के तथ्यों के आधार पर ईडी ने नया केस दर्ज कर लिया। तब जस्टिस ओका ने ईडी से पूछा कि क्या जो मामला निरस्त किया जा चुका है उसके तथ्यों के आधार पर दूसरा केस दर्ज किया जा सकता है।

ईडी इस मामले में 2019 से 2022 तक मनी लांड्रिंग की जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में आरोपितों अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और अफसर अनिल टूटेजा से 121.87 करोड़ की 119 अचल संपत्ति जब्त कर चुकी है। ईडी के मुताबिक इस घोटाले में दो हजार करोड़ रुपये की कमाई की गई थी। इस मामले मे छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार पर आरोप लगा था कि शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई।