नई दिल्ली, 13 नवंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी के चुनाव चिह्न घड़ी के विवाद पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने एनसीपी के अजीत पवार गुट से पूछा कि वो बार-बार क्यों शरद पवार का नाम ले रही है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने अजीत पवार गुट से कहा कि आप अपने पैरों पर खड़े हों, आपकी अलग पहचान है, आप उस पर चुनाव लड़ें। सुप्रीम कोर्ट ने अजीत पवार गुट को निर्देश दिया कि वो अपने कार्यकर्ताओं से कहें कि अपनी पार्टी के प्रचार वाले वीडियो में शरद पवार का नाम नहीं लें। मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान आज अजीत पवार गुट की ओर से बताया गया कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए सात मराठी, दो-दो हिंदी और अंग्रेजी अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित किया गया है। अखबारों में छपे डिस्क्लेमर को देखते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि आपका एक डिस्क्लेमर डोनाल्ड ट्रम्प की खबर के ठीक नीचे छपा है जो काफी प्रभावशाली लग रहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने शरद पवार गुट के वकील अभिषेक मनीष सिंघवी से पूछा कि जब आप 36 सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं ऐसे में क्या महाराष्ट्र के लोग यह नहीं समझ पाएंगे कि आप दोनों एक नहीं हैं। कोर्ट ने य़ह बात तब कहीं जब शरद पवार गुट के वकील ने यह बताया कि जो डिस्क्लेमर दिया जा रहा है उसमें परोक्ष रूप से दोनों को एक बताया जा रहा है।
अजीत पवार गुट के वकील ने कोर्ट को बताया कि शरद पवार गुट का कहना कि आदेश का पालन नहीं किया जा रहा य़ह मतदाताओं को भ्रमित करना है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम इस बात का फैसला नहीं कर सकते कि मतदाता क्या सोचता है। जस्टिस उज्जल भुयान ने कहा कि हमें मतदाताओं को भी कम नहीं आंकना चाहिए। शरद पवार के वकील अभिषेक सिंघवी ने आरोप लगाया कि अजीत गुट इस मामले को 20 नवंबर को होने वाले मतदान की तारीख तक लटकाए रखना चाहता है। इस बात को अलग तरीके से देखें तो इनकी सोच यह है कि पवार परिवार एक है और उसी नाम पर वोट मांग रहे हैं, आप ऐसा नहीं कर सकते।
जस्टिस सूर्यकांत ने अजीत पवार गुट से पूछा कि भले ही वीडियो पुराना चल रहा हो, लेकिन शरद पवार का नाम बार-बार क्यों लिया जा रहा है? अजीत पवार के वकील ने कहा कि यह पुराना फेसबुक पेज है। इसकी मैं कैसे जांच कर सकता था? कोर्ट ने कहा कि आपको पुराने और नए दोनों वीडियो के लिए अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। अब आप अलग पार्टी के तौर पर स्थापित होने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि शरद पवार के साथ आपके वैचारिक मतभेद हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि हम दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश करेंगे कि आप अपने चुनाव पर ध्यान केंद्रित करें। देश के लोग बहुत समझदार हैं और वोट करना जानते हैं। वो यह पहचान सकते हैं कि शरद पवार कौन हैं और अजित पवार कौन हैं।
कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा कि आप लोगों को न्यायालय के आदेश का ईमानदारी से पालन करना चाहिए और उसका सम्मान किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं पता कि वीडियो प्रभाव डालते हैं या नहीं और उनका प्रभाव कितना होता है। कोर्ट ने अजीत पवार के वकील से कहा कि आप शरद पवार वाले वीडियो का इस्तेमाल न करें। आप अपनी अलग राजनीतिक पहचान बनाएं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को एनसीपी के अजित पवार गुट को आदेश दिया था कि घड़ी चुनाव चिह्न के साथ वह 36 घंटे के अंदर हिंदी, अंग्रेजी और मराठी भाषा के अखबारों में कोर्ट के आदेश संबंधी डिस्क्लेमर प्रकाशित करें।