Sundar Pichai Warning: क्या आप भी आंख बंद करके AI पर भरोसा करते हैं? यह खबर आपको डरा सकती है

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News India Live, Digital Desk: आज हम और आप अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर निर्भर होते जा रहे हैं। चाहे ऑफिस का मेल लिखना हो, कोडिंग करनी हो या फिर कोई रेसिपी ढूंढनी हो—चैटबॉट हमारा नया 'गूगल' बन गया है। लेकिन जरा रुकिए! गूगल के ही सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) ने एक ऐसी बात कही है जो हर इंटरनेट यूजर को गौर से सुननी चाहिए।

पिचाई ने हाल ही में AI के एक ऐसे खतरनाक पहलू पर बात की है जिसे "हैलुसिनेशन" (Hallucination) कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ AI आपको गलत जानकारी देता है, लेकिन इतने "कॉन्फिडेंस" और भरोसे के साथ कि आपको लगेगा कि यही परम सत्य है।

क्या है 'Hyper-Confident' AI का खतरा?

सुंदर पिचाई ने साफ किया है कि आज के मॉडर्न एआई टूल्स (चाहे वह गूगल का हो या किसी और का) बेहद स्मार्ट हो गए हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि जब इन्हें किसी सवाल का जवाब नहीं पता होता, तो ये "मुझे नहीं पता" कहने के बजाय, एक मनगढ़ंत कहानी बना देते हैं। और यह कहानी वे इतने आत्मविश्वास (Hyper-Confidence) से सुनाते हैं कि एक आम इंसान धोखा खा जाता है।

सोचिए, आप किसी हेल्थ समस्या के बारे में AI से पूछें और वो आपको पूरे दावे के साथ गलत दवा बता दे? यह कितना जोखिम भरा हो सकता है!

"ब्लैक बॉक्स" का राज

पिचाई ने इसे "ब्लैक बॉक्स" की समस्या भी बताया। मतलब, कई बार खुद बनाने वाले डेवलपर्स को भी यह पक्के तौर पर नहीं पता होता कि AI ने कोई विशिष्ट जवाब कैसे और क्यों दिया। हालांकि तकनीक बेहतर हो रही है, लेकिन "हलुसिनेशन" की समस्या अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। यह एक ऐसी चुनौती है जिससे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और ओपनएआई जैसी सभी बड़ी कंपनियां जूझ रही हैं।

एक आम यूजर के तौर पर हमें क्या करना चाहिए?

यह खबर हमें डराने के लिए नहीं, बल्कि जगाने के लिए है। सुंदर पिचाई की बातों का सीधा मतलब यह है कि:

  1. भरोसा करें, पर जांच भी करें: AI जो भी जानकारी दे, उसे पत्थर की लकीर न मानें। उसे हमेशा क्रॉस-चेक (Fact Check) करें।
  2. जजमेंट इंसान का ही रखें: फैसले लेने के लिए AI का सहारा लें, लेकिन आखिरी मुहर अपनी अकल की लगाएं।
  3. समझदारी से इस्तेमाल: रचनात्मक कामों में AI बेहतरीन है, लेकिन जहां तथ्यों (Facts) की बात हो, वहां सतर्क रहें।

तो अगली बार जब आपका चैटबॉट आपको कोई ऐसा फैक्ट बताए जो सुनने में "टू गुड टू बी ट्रू" लगे, तो याद रखिएगा—हो सकता है वह सिर्फ पूरे कॉन्फिडेंस के साथ गप्प मार रहा हो!

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