जयपुर, 16 मई (हि.स.)। ‘तुम उड़ों होकर उन्मुक्त तुम्हारा है गगन, तुम रहो अपनी मस्ती में होकर मगन, पर उससे पहले सीखों पंखों को ठीक से खोलना, अपनी धुन पर नाचना, गाना, अभिनय करना, लिखना और बोलना।’ इन्हीं भावों के साथ नन्हें कलाकारों के भोले मन के कैनवास को रचनात्मक रंगों से सजाने के लिए जवाहर कला केन्द्र में गुरुवार से जूनियर समर प्रोग्राम (कैम्प) की शुरुआत हुई। कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव और जवाहर कला केन्द्र की महानिदेशक गायत्री राठौड़ ने कैम्प का उद्घाटन किया। उन्होंने कैनवास पर पेंटिंग बनाकर बच्चों को सूरज की तरह चमकते रहने का संदेश दिया। इस दौरान केन्द्र की अति. महानिदेशक प्रियंका जोधावत अन्य प्रशासनिक अधिकारी, सभी प्रशिक्षक, प्रतिभागी व उनके परिजन मौजूद रहे।
अपने हुनर को निखारने को उत्सुक बच्चे सुबह जेकेके में जुटने लगे। मध्यवर्ती में बच्चों की सभा हुई। यहां हर विधा के प्रशिक्षकों से बच्चों का परिचय कराया गया। किसी ने बच्चों को रोचक किस्से सुनाकर गुदगुदाया, किसी ने वायलिन पर धुन छेड़ी, किसी ने कविता से समा बांधा तो किसी ने रंगमंच के बारे में बताया। यहां थिएटर, गायन, गिटार, तबला, पियानो, वॉयलिन, लोक नृत्य, कथक, मोबाइल फिल्म मेकिंग, फ़ोटोग्राफी, मोज़ेक आर्ट, आर्ट ऑफ़ एक्सप्रेशन, कंटेम्पररी डांस, कैलीग्राफी (देवनागरी-अंग्रेजी) और क्रिएटिव राइटिंग, कठपुतली मेकिंग एवं संचालन समेत 16 विधाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 8 से 17 वर्ष के 500 से अधिक बच्चे कैम्प में हिस्सा ले रहे हैं। कैम्प 20 जून तक जारी रहेगा, अंत में प्रतिभागियों की मंचीय प्रस्तुति भी होगी।
गायत्री राठौड़ ने कहा कि बच्चों में समर कैम्प को लेकर बहुत उत्सुकता है। यह कला और केन्द्र के प्रति उनकी रुचि को दर्शाता है। इस तरह ग्रीष्मकालीन अवकाश का सबसे अच्छा उपयोग बच्चे कर रहे हैं। मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन दूर रहकर बच्चे अपने पैशन को फॉलो करेंगे और प्रैक्टिकल नॉलेज लेकर अपने व्यक्तित्व का विकास करेंगे। इस बार पिछली बार से भिन्न विधाओं यथा पियानो, वॉयलिन, कंटेम्पररी डांस, मोबाइल फिल्म मेकिंग, मोज़ेक आर्ट, क्रिएटिव राइटिंग को भी जोड़ा गया है।
प्रियंका जोधावत ने कहा कि केन्द्र रंगमंच, साहित्य, संगीत और दृश्य कला में प्रशिक्षण और प्रदर्शन के अवसर कलाकारों को प्रदान करता है। जूनियर समर कैम्प में भविष्य के कलाकार तैयार किए जा रहे हैं। इसके बाद कला के चारों आयामों से बच्चे एक्सपर्ट्स के माध्यम से रूबरू हो सके इसके लिए साप्ताहिक कार्यशालाओं की योजना पर काम किया जाएगा।