वह पड़ोस में रहने वाली लड़की को आए दिन आते-जाते देखता था। यह पहली नजर का प्यार था और इसके बाद लड़के को इतनी जल्दी हुई कि उसने 17 साल की लड़की को अपनी दुल्हन बना लिया। यहां भी किसी को कुछ पता नहीं चल रहा है. लेकिन एक साल के अंदर ही लड़का पहले दूल्हा और फिर पिता बन गया.
जब लड़की को अस्पताल ले जाया गया तो वहां पूरा मामला खुल गया. यहां पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया और पिता जेल चला गया। जब ये मामला निचली अदालत से हाई कोर्ट पहुंचा तो जज ने दोबारा इस मामले में अपना फैसला सुनाया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता लड़के की याचिका पर POCSO मामले में आपराधिक कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट के जज ने कहा है कि अगर एफआईआर रद्द नहीं की गई तो तीन लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी. जिसमें पति-पत्नी और नवजात बच्चे की जिंदगी भी बर्बाद हो जाएगी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वह ‘असाधारण परिस्थितियों’ के कारण ‘मानवीय आधार’ पर आदेश पारित कर रहा है.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि याचिकाकर्ता लड़के को पड़ोस में रहने वाली 17 साल की लड़की से प्यार हो गया था. इसके बाद अगस्त 2023 में दोनों ने अपनी मर्जी से शादी कर ली। जब लड़की गर्भवती हो गई तो उसे अस्पताल ले जाया गया.
जहां अस्पताल के लोगों ने पुलिस को बताया कि लड़की नाबालिग है. बाद में लड़के के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई। लड़की ने अगस्त में एक लड़के को जन्म दिया और उसके पति को सितंबर में गिरफ्तार कर लिया गया।
FIR खारिज करते हुए कोर्ट ने क्या कहा?
द्वारका में दर्ज मामले को खारिज करते हुए जज अनीश दयाल ने कहा कि इन तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट की राय है कि पीड़िता और बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहते हैं. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता वयस्क है और अगर एफआईआर रद्द नहीं की गई तो इसका बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह कहते हुए कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है.