केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में सात दिवसीय प्राकृत शिक्षण कार्यशाला में ज्ञानार्जन कर रहे छात्र

जयपुर, 12 मार्च (हि.स.)। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर परिसर के प्राकृत अध्ययन शोध केंद्र की ओर से 17 मार्च तक प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसके उद्घाटन में देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 50 से अधिक छात्रों ने भाग ग्रहण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो.सुदेश कुमार शर्मा ने की। मुख्य अतिथि प्राकृत विकास बोर्ड भारत सरकार के अध्यक्ष प्रो. एसपी शर्मा, विशिष्ट अतिथि श्रमण संस्कृत संस्थान सांगानेर के निदेशक प्रो.जयकुमार जैन और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर की प्राकृत विद्याशाखा के प्रो. कमलेश कुमार जैन रहे।

प्राकृत शिक्षण कार्यशाला के द्वितीय दिवस में मंगलवार को प्राकृत पढ़ने के इच्छुक छात्रों ने अधिकाधिक संख्या में भाग ग्रहण किया। इस कार्यशाला में प्रतिदिन छह कक्षाओं के माध्यम से छात्रों को विविध विषयों का ज्ञान दिया गया। प्रो. कमलेश कुमार जैन ने कहा कि प्राकृत की व्याकरण के माध्यम से लोकभाषा कैसे वर्तमान में जीवति है। इस विषय में लगभग 45 मिनट का शिक्षण कार्य कराया गया। इसके बाद प्रो. धर्मचन्द्र जैन ने प्राकृत के धातु रूप के माध्यम से वाक्य निर्माण की प्रक्रिया को समझाया। डॉ. जयकुमार जैन ने लौकिक साहित्य के अध्ययन में प्राकृत भाषा के उपयोग को लेकर विचार व्यक्त किए। डॉ. सतेन्द्र कुमार जैन ने प्राकृत शिलालेखों का महत्व बताते हुए भारत देश के नामकरण का खारबेल के शिलालेख से सम्बन्ध बताया तथा उसकी प्राचीनता के विषय में जानकारी दी।

संयोजक डॉ. सतेन्द्र कुमार जैन ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा बताई। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. सुदेश कुमार शर्मा ने प्राकृत के विकास के लिए कुछ बिंदुओं पर कहा कि प्राकृत का विकास उसके वाक्य व्यवहार से संभव है। जब तक प्राकृत भाषा लोगों के मुख से नहीं निकलेगी तब तक उसका विकास नगण्य है। एसपी शर्मा ने प्राकृत भाषा के इतिहास को बताते हुए उसके नवीनतम स्वरूप को प्रदर्शित किया। उद्घाटन के बाद प्राकृत शिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। प्रो. जयकुमार जैन, प्रो. कमलेश कुमार जैन, डॉ. धर्मेंद्र कुमार जैन तथा डॉक्टर सतेन्द्र कुमार जैन ने अध्यापन कार्य कराया। आगामी दिनों में प्रो. धर्मचंद जैन, डॉ. दर्शना जैन तथा डॉ. प्रभात कुमार दास भी अध्यापन कार्य में संलग्न होंगे। कार्यशाला में विद्यार्थियों द्वारा उत्साहपूर्वक अध्ययन किया जा रहा है।