
अमेरिकी शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल मची हुई है। गुरुवार रात अमेरिकी बाजार में नैस्डैक में करीब 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि डाऊ जोन्स सूचकांक में 1,600 अंक यानी करीब 4 प्रतिशत की गिरावट आई। एसएंडपी 500 में भी लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई। एक दिन में इतनी बड़ी गिरावट इससे पहले 16 मार्च 2020 को हुई थी। हालांकि, भारतीय शेयर बाजार में अभी तक इतनी गिरावट नहीं देखी गई है।
भारतीय शेयर बाजार में आज भी गिरावट
अमेरिका में उथल-पुथल के बीच भारतीय बाजार में दोपहर 2.36 बजे 965 अंकों की गिरावट देखने को मिली है। सेंसेक्स 75,330 अंक पर पहुंच गया है जबकि निफ्टी में भी 369 अंकों की गिरावट आई है। निफ्टी 22,880 अंक तक गिर गया है। दूसरी ओर, आरआईएल के शेयरों में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक प्रभाव माना जा रहा है। जहां मंदी का खतरा बढ़ गया है।
गुरुवार को शेयर बाजार का हाल
भारतीय शेयर बाजारों में गुरुवार यानी 4 अप्रैल को भारी बिकवाली देखने को मिली। सेंसेक्स एक दिन में 935 अंक यानी 1 फीसदी से ज्यादा गिरकर 75,300 के आसपास आ गया है। निफ्टी 50 भी 335 अंक या 1.45% से अधिक गिरकर 22,910 पर आ गया। इस गिरावट के लिए चार मुख्य कारणों पर विचार किया जा रहा है।
क्या मंदी के डर के ये ही कारण हैं?
वैश्विक व्यापार युद्ध का भय
ट्रम्प के नए टैरिफ के बाद, चीन और कनाडा ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। निवेशक इस बात से चिंतित हैं। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 26% तथा अन्य देशों पर 10% आयात शुल्क लगाया है। जवाब में, कनाडा ने अमेरिकी वाहनों पर 25% टैरिफ लगाया है। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा बढ़ गया है।
वैश्विक बाजार में गिरावट
अमेरिका में एसएंडपी 500 इंडेक्स में 5% और नैस्डैक में 5.5% की गिरावट आई, जो 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। एशियाई बाजारों में भी गिरावट आई है। जापान का निक्केई 3% गिरा, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी 2% गिरा।
क्षेत्रीय दबाव
फार्मा स्टॉक, आईटी स्टॉक और ऑटो स्टॉक भारी दबाव में हैं। रिलायंस के शेयरों में भी भारी बिकवाली है। निफ्टी आईटी सूचकांक में 2% की गिरावट आई, जिसमें कोफोर्ज और पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में सबसे अधिक गिरावट आई। धातु शेयरों में बिकवाली देखी गई।
मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना
अमेरिका में मंदी का सबसे बड़ा खतरा मुद्रास्फीति है। कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिका में मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि अब अन्य देशों से सामान ऊंची कीमतों पर उपलब्ध होगा। इससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी। डॉलर सूचकांक में भी गिरावट देखी जा रही है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
क्या मंदी का खतरा बढ़ रहा है?
ट्रम्प द्वारा टैरिफ लगाए जाने के बाद वैश्विक बाजार में महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ गई है, जिससे मंदी का खतरा बढ़ता नजर आ रहा है। डॉयचे बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ब्रेट रयान ने समाचार एजेंसी को बताया कि ट्रम्प के टैरिफ से इस वर्ष अमेरिकी विकास दर में 1-1.5 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जिससे मंदी का खतरा काफी बढ़ जाएगा। हालाँकि, भारत में फिलहाल ऐसा कोई संकट नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं।