महाकुंभ 2025, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित हो रहा है, दुनियाभर के लाखों भक्तों, साधु-संतों, और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। 12 साल के लंबे इंतजार के बाद यह धार्मिक आयोजन अपने पूर्ण स्वरूप में लौट रहा है। इस बार महाकुंभ में केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी हस्तियां भी शामिल हो रही हैं।
ऐसी ही एक प्रमुख हस्ती हैं लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जो एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी हैं। लॉरेन ने न केवल महाकुंभ में भाग लेने के लिए भारत का रुख किया है, बल्कि यहां कल्पवास करने का भी निर्णय लिया है।
लॉरेन पॉवेल की शैक्षणिक पृष्ठभूमि
लॉरेन पॉवेल न केवल एक प्रभावशाली व्यवसायी हैं, बल्कि उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी बेहद समृद्ध है।
- प्रारंभिक शिक्षा:
- लॉरेन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पेंसिल्वेनिया के प्रतिष्ठित द व्हार्टन स्कूल से की।
- बैचलर डिग्री:
- पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स/साइंस (BA) की डिग्री हासिल की।
- मास्टर्स डिग्री:
- उन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की।
स्टीव जॉब्स से मुलाकात
लॉरेन और स्टीव जॉब्स की पहली मुलाकात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल में हुई, जब स्टीव एक गेस्ट लेक्चर देने वहां पहुंचे थे। यह मुलाकात उनके जीवन में एक अहम मोड़ साबित हुई और दोनों का रिश्ता यहीं से शुरू हुआ।
महाकुंभ में लॉरेन पॉवेल की भागीदारी
लॉरेन पॉवेल का हिंदू और बौद्ध धर्म के प्रति गहरा लगाव रहा है। यही कारण है कि उन्होंने महाकुंभ में भाग लेने का निर्णय लिया।
महाकुंभ में ठहराव
- लॉरेन 29 जनवरी 2025 तक प्रयागराज में रहेंगी।
- उन्होंने पौष पूर्णिमा के दिन संगम में डुबकी लगाने और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने की योजना बनाई है।
- उनके लिए निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में ठहरने की विशेष व्यवस्था की गई है।
कल्पवास की तैयारी
लॉरेन पॉवेल महाकुंभ के दौरान कल्पवास करेंगी, जो हिंदू धर्म की एक प्राचीन परंपरा है। इस दौरान वे सभी सांसारिक सुख-सुविधाओं को त्यागकर तप, साधना, और प्रार्थना में अपना समय बिताएंगी।
कल्पवास: क्या है इसका महत्व?
कल्पवास एक प्राचीन हिंदू अनुष्ठान है, जिसका उल्लेख महाभारत और रामचरितमानस जैसे ग्रंथों में मिलता है।
- अर्थ:
- संस्कृत में ‘कल्प’ का अर्थ है ब्रह्मांडीय युग और ‘वास’ का अर्थ है प्रवास या निवास।
- आचरण:
- कल्पवास करने वाले भक्त संगम या किसी पवित्र स्थान पर अस्थायी डेरे में रहते हैं।
- वे तप, साधना, प्रार्थना और ध्यान के माध्यम से आत्मशुद्धि का प्रयास करते हैं।
- इस दौरान वे भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर आध्यात्मिक अनुशासन का पालन करते हैं।
कल्पवास का मुख्य उद्देश्य मानसिक शांति और आत्मा की शुद्धि प्राप्त करना है।
महाकुंभ में अन्य प्रमुख हस्तियां
महाकुंभ 2025 में लॉरेन पॉवेल के अलावा कई बड़ी और प्रभावशाली महिलाएं भी भाग ले रही हैं:
- सुधा मूर्ति:
- प्रसिद्ध समाजसेवी और लेखिका सुधा मूर्ति संगम में डुबकी लगाकर अनुष्ठानों में हिस्सा लेंगी। उनके लिए उल्टा किला के पास विशेष कॉटेज तैयार किया गया है।
- सावित्री देवी जिंदल:
- उद्योगपति सावित्री देवी जिंदल, स्वामी अवधेशानंद और चिदानंद मुनि के शिविरों में ठहरने की योजना बना रही हैं।
- हेमा मालिनी:
- अभिनेत्री और राजनेता हेमा मालिनी जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के शिविर में ठहरेंगी।
लॉरेन पॉवेल का महाकुंभ में भाग लेना क्यों है खास?
लॉरेन पॉवेल जैसी वैश्विक हस्तियों का महाकुंभ में भाग लेना भारतीय संस्कृति और परंपराओं की ओर अंतर्राष्ट्रीय आकर्षण को दर्शाता है। उनका कल्पवास करना इस बात का प्रमाण है कि भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराएं न केवल भारतीयों को, बल्कि विदेशियों को भी गहराई से प्रभावित करती हैं।