जनगणना आधारित परिसीमन के खिलाफ स्टालिन का विरोध, 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चेन्नई बुलाया

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने जनगणना आधारित परिसीमन के खिलाफ फिर से आवाज बुलंद की है। शुक्रवार को उन्होंने पश्चिम बंगाल, ओडिशा समेत 7 राज्यों को इस मुद्दे पर एकजुट होने के लिए आमंत्रित किया। स्टालिन ने इस संभावना पर चिंता जताई कि परिसीमन के कारण इन राज्यों की लोकसभा सीटें घट सकती हैं।

उन्होंने इस मुद्दे पर 22 मार्च को चेन्नई में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चंद्र माझी सहित 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को शामिल होने का निमंत्रण भेजा गया है। इसके अलावा, उन्होंने केरल के पिनाराई विजयन, कर्नाटक के सिद्धारमैया, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू और पुडुचेरी के एन. रंगास्वामी को भी इस बैठक में आमंत्रित किया है।

परिसीमन के खिलाफ स्टालिन का कड़ा रुख

स्टालिन ने इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों की एक संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) बनाने की अपील की है। उन्होंने दक्षिणी राज्यों के राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं को भी बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।

स्टालिन ने अपने एक्स (Twitter) अकाउंट पर लिखा:
“परिसीमन संघवाद पर खुला हमला है। यह उन राज्यों की आवाज दबाने का प्रयास है, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी रूप से लागू किया है। यह किसी सजा से कम नहीं है। हम इस लोकतांत्रिक अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे!”

स्टालिन पिछले कई दिनों से केंद्र सरकार पर परिसीमन को लेकर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि 1971 की जनगणना को 2026 से अगले 30 वर्षों तक संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का आधार बनाया जाए।

क्या है स्टालिन की मांग?

1971 की जनगणना को 2026 से अगले 30 वर्षों तक परिसीमन का आधार बनाया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर संसद में आश्वासन देना चाहिए।
JAC (संयुक्त कार्रवाई समिति) इस मांग को आगे बढ़ाएगी और जन-जागरूकता अभियान चलाएगी।
तमिलनाडु का संसद में वर्तमान प्रतिनिधित्व 7.18% है, जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं बदला जाना चाहिए।

स्टालिन ने एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी, जिसमें AIADMK (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम) समेत कई राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया और जनसंख्या-आधारित परिसीमन का विरोध किया।

केंद्र सरकार का पक्ष क्या है?

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) इस परिसीमन प्रक्रिया का कड़ा विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री स्टालिन का दावा है कि इससे तमिलनाडु में लोकसभा की सीटें घट जाएंगी।

हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि परिसीमन की प्रक्रिया से दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने स्टालिन पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब आनुपातिक आधार पर परिसीमन किया जाएगा, तो किसी भी दक्षिणी राज्य की संसदीय सीटों में कटौती नहीं होगी।

अमित शाह के इस बयान के बावजूद स्टालिन और अन्य विपक्षी दलों का विरोध जारी है।

परिसीमन को लेकर राज्यों की चिंताएं

दक्षिणी राज्यों का कहना है कि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण पर बेहतरीन काम किया है, फिर भी उनकी लोकसभा सीटें घटाई जा रही हैं।
उत्तरी राज्यों की आबादी तेजी से बढ़ी है, इसलिए परिसीमन के बाद लोकसभा सीटों का बड़ा हिस्सा उत्तर भारत को मिलने की संभावना है।
अगर 2026 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ, तो दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा और उनकी राजनीतिक ताकत कम हो जाएगी।

क्या होगा 22 मार्च की बैठक में?

22 मार्च को चेन्नई में दक्षिणी और पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्री एक मंच पर आएंगे और संयुक्त रणनीति तैयार करेंगे। इस बैठक से यह तय होगा कि क्या दक्षिणी राज्य परिसीमन के खिलाफ संसद में बड़ा मोर्चा खोलेंगे?

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह राजनीतिक गठबंधन केंद्र सरकार पर दबाव बना पाएगा, या फिर अमित शाह के आश्वासन के बाद मामला शांत हो जाएगा?