एनबीडब्ल्यू का तामीला न करने पर एसएसपी अयोध्या से स्पष्टीकरण मांगा

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प्रयागराज, 30 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएसपी अयोध्या को चेक बाउंस के एक मामले में आरोपी को मजिस्ट्रेट अदालत से जारी सम्मन और गैर जमानती वारंट का तामीला कई बार पत्र भेजने के बाद भी नहीं कराने का कारण स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने विमल चंद्र द्विवेदी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका के तथ्यों से स्पष्ट है कि एसएसपी अयोध्या और वहां की पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट के तामीला में लापरवाही के कारण अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रयागराज की अदालत में लंबित परिवाद का ट्रायल शुरू नहीं किया जा सका है। इसलिए एसएसपी अयोध्या व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करें कि संबंधित अदालत से आरोपी के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को उनके पास भेजे गए बार-बार पत्रों के बावजूद क्यों निष्पादित नहीं किया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि एसएसपी अयोध्या व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल नहीं करते तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से सम्मन किया जा सकता है।

सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दाखिल याचिका में प्रयागराज की एसीजेएम कोर्ट (कक्ष संख्या नौ) में सराय इनायत थाने के चेक बाउंस के परिवाद विमल चंद्र द्विवेदी बनाम हौसला प्रसाद शुक्ल को जल्द निस्तारण का निर्देश दिए जाने की मांग की गई। कहा गया है कि परिवाद में मजिस्ट्रेट अदालत ने पांच फरवरी 2021 को अयोध्या निवासी आरोपी को सम्मन और 26 नवम्बर 2021 को गैर जमानती वारंट जारी किया। उसके बाद 29 नवम्बर 2022 को फिर से गैर जमानती वारंट एसएसपी अयोध्या के माध्यम से तामीला के लिए जारी किया गया।

इसके बाद मजिस्ट्रेट अदालत ने छह मई 2023 के आदेश में उल्लेख किया कि गैर-जमानती वारंट के बार-बार जारी होने के बावजूद पुलिस आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं कर रही है और वारंट सम्बंधित पुलिस स्टेशन द्वारा वापस भी नहीं किए गए। इसके बाद फिर से गैर जमानती वारंट एसएसपी अयोध्या को भेजा गया लेकिन अयोध्या पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।