Spiritual Significance : आपकी हर प्रार्थना को भगवान तक पहुंचाते हैं गरुड़ देव जानें मंदिर की घंटी पर गरुड़ का गहरा अर्थ

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News India Live, Digital Desk: Spiritual Significance : जब हम मंदिर जाते हैं, तो मुख्य द्वार पर या गर्भगृह के पास बजने वाली घंटी हमारी भक्ति का एक अनिवार्य हिस्सा होती है। इसकी मधुर ध्वनि न केवल हमें शांति देती है, बल्कि ईश्वर के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने का भी एक माध्यम है। लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि अक्सर इस घंटी के ऊपरी हिस्से पर एक विशेष आकृति बनी होती है – वह है गरुड़ देव की। यह केवल एक सजावट नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व है।

धर्म शास्त्रों में, गरुड़ देव को भगवान विष्णु का विशेष वाहन माना जाता है। वे सिर्फ उनके वाहन ही नहीं, बल्कि उनके परम भक्त भी हैं। मान्यता है कि गरुड़ देव अत्यंत वेगवान हैं और पलक झपकते ही कहीं भी पहुँच सकते हैं। उनकी यह विशेषता ही उन्हें प्रार्थनाओं का संदेशवाहक बनाती है।

इसी कारण से, जब हम मंदिर में घंटी बजाते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि उस घंटी की ध्वनि से निकलने वाली हमारी प्रार्थना सीधे गरुड़ देव तक पहुँचती है। गरुड़ देव उस प्रार्थना को लेकर बिना किसी विलंब के भगवान विष्णु तक पहुँचते हैं और उन्हें हमारे भाव और भक्ति से अवगत कराते हैं। एक तरह से, गरुड़ घंटी और भक्त के बीच, तथा भक्त और भगवान के बीच एक सेतु का काम करते हैं। वे हमारी पुकार को उस सर्वोच्च सत्ता तक ले जाने का कार्य करते हैं।

वैसे तो मंदिर में घंटी बजाने के कई आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी बताए गए हैं। घंटी की ध्वनि को ब्रह्मांड की ध्वनि (ॐ) के समान माना जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करती है। यह हमें पूजा के लिए एकाग्र करती है, मन को शुद्ध करती है और दैवीय शक्तियों का आह्वान करती है। ऐसी मान्यता है कि घंटी की आवाज से मंदिर का वातावरण पवित्र होता है और कीट-पतंग भी दूर रहते हैं।

तो अगली बार जब आप मंदिर में घंटी बजाएँ, तो यह याद रखें कि आप सिर्फ एक धातु के यंत्र से ध्वनि नहीं निकाल रहे हैं, बल्कि गरुड़ देव के माध्यम से अपनी आस्था और पुकार सीधे उस परमसत्ता तक पहुँचा रहे हैं, जिनकी कृपा के लिए हम मंदिर में आते हैं। यह आपकी भक्ति और ईश्वर के बीच एक सीधा संवाद स्थापित करने का एक प्राचीन और गहरा तरीका है।

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