उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों की भूमि के बेहतर उपयोग और भूमि विवादों के समाधान के लिए चकबंदी प्रक्रिया को तेज करने का बड़ा कदम उठाया है। इस दिशा में सरकार ने 1,700 गांवों में विशेष अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसकी शुरुआत अप्रैल 2025 से होगी। इस अभियान में उन गांवों को शामिल किया गया है, जहां 50 प्रतिशत से अधिक किसानों ने चकबंदी के लिए सहमति दी है।
अभियान की पूरी तैयारी और मासिक समीक्षा
चकबंदी निदेशालय ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि अभियान की शुरुआत से पहले सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली जाएं, ताकि कोई रुकावट न आए। इसके अतिरिक्त, हर महीने की 10 तारीख तक जिलों को अपनी प्रगति रिपोर्ट चकबंदी आयुक्त को भेजनी होगी, ताकि मंडल और निदेशालय स्तर पर समीक्षा की जा सके। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चकबंदी प्रक्रिया में कोई असुविधा न हो, लगातार निगरानी और रिपोर्टिंग की जाएगी।
पारदर्शिता के लिए समीक्षा प्रारूप तय
किसानों के खेतों से जुड़े विवादों को पारदर्शी तरीके से सुलझाने के लिए एक विशेष समीक्षा प्रारूप तैयार किया गया है। इसमें भूचित्र का पुनरीक्षण, भूमि की जांच, पुनरीक्षित वार्षिक रजिस्टर, अवशेष वादों का निस्तारण, प्रारंभिक चकबंदी योजना का प्रकाशन, चकबंदी योजना की पुष्टि, कब्जा परिवर्तन और अपीलों के निस्तारण जैसे अहम बिंदु शामिल किए गए हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि किसानों के अधिकारों का सम्मान करते हुए हर कदम पारदर्शी और प्रभावी तरीके से उठाया जाए।
चकबंदी अधिकारियों को मिल रही ट्रेनिंग
इस अभियान को सही तरीके से चलाने के लिए चकबंदी अधिकारियों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 2024-25 के वित्तीय वर्ष में अब तक 207 गांवों की चकबंदी पूरी हो चुकी है, जबकि 2023-24 में 781 गांवों में चकबंदी सफलतापूर्वक संपन्न हुई थी। अधिकारियों को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे चकबंदी प्रक्रिया को जल्दी और सही तरीके से संपन्न कर सकें।
बाराबंकी में चकबंदी प्रक्रिया की गति
बाराबंकी जिले में चकबंदी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। कलेक्ट्रेट स्थित लोक सभागार में हुई समीक्षा बैठक में डीएम शशांक त्रिपाठी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि चकबंदी कार्य तय समय में पूरा किया जाए। जिले के प्रथम चरण में छह गांवों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है, जबकि दूसरे चरण में 38 गांवों में इस काम की शुरुआत की जाएगी।
सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हटाए जाएंगे
डीएम ने निर्देश दिया कि चकबंदी प्रक्रिया के दौरान अगर ग्राम पंचायतों की चारागाह, तालाब और अन्य सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है, तो उसे तुरंत हटाया जाए। इसके अलावा, अवैध प्लाटिंग और चकमार्गों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम सरकारी जमीनों की सुरक्षा और उचित उपयोग सुनिश्चित करेगा।
वादों के निस्तारण में तेजी लाने की आवश्यकता
चकबंदी से जुड़े मामलों का निस्तारण धीमी गति से होने पर डीएम ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मुकदमों का निस्तारण जल्द से जल्द और मेरिट के आधार पर किया जाए। बार-बार तारीख देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी विवादों का शीघ्र समाधान हो, अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं।