उत्तर प्रदेश की कैराना सीट से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने तीन तलाक कानून को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने इस कानून को मुस्लिम मर्दों को जेल में डालने का तरीका करार दिया और इसके पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
‘तीन तलाक एक सिविल मामला, इसे अपराध बनाना गलत’
एक पॉडकास्ट में तीन तलाक पर पूछे गए सवाल पर इकरा हसन ने कहा:
- “तकनीकी और तार्किक दृष्टि से तीन तलाक एक सिविल मामला है और इसे सिविल विवाद के दायरे में ही रखा जाना चाहिए।”
- उन्होंने कहा, “सिविल मामलों में किसी को अपराधी बनाना और जेल भेजना कानूनन उचित नहीं है। ऐसा किसी अन्य कानून में नहीं होता।”
- इकरा ने आरोप लगाया कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के पुरुषों को टारगेट कर जेल में भरने के लिए लाया गया है।
‘मुस्लिम महिलाओं को इससे लाभ नहीं, नुकसान हो रहा’
इकरा हसन ने कहा कि सरकार इस कानून को मुस्लिम महिलाओं के लाभ के रूप में पेश करती है, लेकिन सच्चाई इसके उलट है।
- उन्होंने कहा, “तीन तलाक कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं को उनके पति अकेला छोड़ने लगे हैं। यह स्थिति महिलाओं के लिए और भी कठिन हो गई है।”
- “पहले हिंदू महिलाओं को बिना तलाक के अकेला छोड़ दिया जाता था क्योंकि हिंदू मैरिज एक्ट में तलाक प्रक्रिया जटिल है। अब वही स्थिति मुस्लिम महिलाओं के साथ भी हो रही है।”
‘महिलाओं की बेहतरी से अधिक पुरुषों को सजा देने का प्रयास’
सपा सांसद ने जोर देकर कहा कि यह कानून महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के बजाय मुस्लिम पुरुषों को दंडित करने का नया तरीका है।
- “मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए इसे लागू किया गया, यह दावा भाजपा सरकार करती है, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता।”
- उन्होंने कहा, “मुस्लिम महिलाओं को इससे कोई ठोस लाभ नहीं हुआ, बल्कि यह कानून समुदाय के पुरुषों को जेल में डालने का माध्यम बन गया है।”
तीन तलाक पर इकरा की राय का राजनीतिक संदर्भ
सपा सांसद का यह बयान राजनीतिक बहस को और गर्माने वाला है।
- यह मुद्दा लंबे समय से भारतीय राजनीति में धर्म, लैंगिक समानता, और कानून के दायरे में गरम चर्चा का विषय बना हुआ है।
- इकरा हसन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कानून को लागू करते समय इसकी वास्तविक उपयोगिता और सामाजिक प्रभाव पर विचार करना चाहिए था।
इकरा के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया का इंतजार
इकरा हसन के इस बयान के बाद भाजपा और अन्य दलों से प्रतिक्रिया आनी तय है। यह बयान न केवल तीन तलाक कानून की आलोचना करता है, बल्कि इसके पीछे की राजनीतिक मंशा पर भी सवाल खड़े करता है।