डिजिटल युग में जहां तकनीक लोगों की जिंदगी आसान बना रही है, वहीं इसके दुरुपयोग के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में बेंगलुरु में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसमें जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से 11.8 करोड़ रुपये ठग लिए।
कैसे हुई ठगी?
पीड़ित, एक 39 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर, ने बताया कि उसे जालसाजों ने पुलिस अधिकारी बनकर फोन किया।
- मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप:
- जालसाजों ने दावा किया कि उनके आधार कार्ड का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा है।
- यह भी कहा गया कि मुंबई के कोलाबा साइबर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मामला दर्ज है।
- सुप्रीम कोर्ट का डर:
- जालसाजों ने पीड़ित को बताया कि मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
- उन्होंने धमकी दी कि अगर पीड़ित ने सहयोग नहीं किया, तो उसे और उसके परिवार को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
ठगी के लिए अपनाए गए तरीके
जालसाजों ने ठगी के लिए बेहद सुनियोजित तरीके अपनाए।
- स्काइप कॉल का इस्तेमाल:
- जालसाजों ने पीड़ित से स्काइप ऐप डाउनलोड करवाया।
- वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति ने मुंबई पुलिस की वर्दी पहनकर खुद को अधिकारी बताया।
- फर्जी आरबीआई दिशानिर्देश:
- जालसाजों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नाम पर फर्जी दिशानिर्देश दिए।
- सत्यापन के नाम पर पीड़ित को कई बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया।
- पिछली घटनाओं का हवाला:
- जालसाजों ने पीड़ित को बताया कि एक व्यवसायी ने उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर 6 करोड़ रुपये के फर्जी लेन-देन के लिए बैंक खाता खोला है।
11.8 करोड़ की ठगी: एक बड़ा झटका
25 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच जालसाजों ने पीड़ित से कई बार पैसे ट्रांसफर करवाए।
- कुल मिलाकर, पीड़ित ने 11.8 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए।
- जब जालसाज और अधिक पैसे मांगने लगे, तब पीड़ित को एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो गया है।
- इसके बाद, उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
डिजिटल अरेस्ट: एक नया फर्जीवाड़ा
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी एक नया और खतरनाक तरीका बन गया है।
- पीड़ित को धमकाना:
- जालसाज कोर्ट, पुलिस और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं का डर दिखाकर लोगों को डरा देते हैं।
- व्यक्तिगत जानकारी का इस्तेमाल:
- जालसाज पीड़ित की व्यक्तिगत जानकारी पहले से हासिल कर लेते हैं, जिससे वे अधिक विश्वसनीय लगते हैं।
- ब्लैकमेलिंग:
- फर्जी आरोपों का हवाला देकर पीड़ित को पैसे देने के लिए मजबूर किया जाता है।
कैसे बचें इस तरह की ठगी से?
- संदिग्ध कॉल को गंभीरता से न लें:
- कोई भी सरकारी अधिकारी फोन पर पैसे मांगने का दावा नहीं करता।
- पर्सनल जानकारी साझा न करें:
- अपनी आधार, पैन, बैंक डिटेल्स आदि किसी अनजान व्यक्ति से साझा न करें।
- अधिकारियों से सीधे संपर्क करें:
- अगर किसी कानूनी मामले का डर है, तो संबंधित संस्थान से सीधे संपर्क करें।
- संदिग्ध ऐप्स डाउनलोड न करें:
- स्काइप या किसी अन्य ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रामाणिकता जांचें।
- पुलिस को सूचित करें:
- ठगी का संदेह होने पर तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचित करें