Sleeping Pills side Effects : चैन की नींद के लिए खाते हैं नींद की गोली? अमेरिकी रिसर्च ने किया चौंकाने वाला खुलासा
News India Live, Digital Desk : Sleeping Pills side Effects : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और बेचैनी के कारण नींद न आना एक आम समस्या बन गई है। बहुत से लोग अच्छी नींद के लिए नींद की गोलियों (Sleeping Pills) का सहारा लेते हैं। उन्हें लगता है कि एक छोटी सी गोली खा लेने से वे आराम से सो पाएंगे और अगली सुबह तरोताजा महसूस करेंगे। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? या फिर यह 'चैन की नींद' भविष्य में किसी बड़े खतरे को न्योता दे रही है?
हाल ही में अमेरिका में हुई एक बड़ी रिसर्च ने नींद की गोलियों को लेकर एक ऐसा खुलासा किया है, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। यह स्टडी बताती है कि जो लोग नींद के लिए इन गोलियों पर निर्भर हैं, वे अनजाने में खुद को कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों की ओर धकेल रहे हैं।
नींद की गोलियां: एक नहीं, कई हैं खतरे
यह अमेरिकी स्टडी बताती है कि 'Z-drugs' जैसी नींद की गोलियां, जिन्हें सुरक्षित माना जाता था, असल में सेहत के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती हैं। रिसर्च के मुख्य निष्कर्ष कुछ इस प्रकार हैं:
1. गिरने और फ्रैक्चर का खतरा:
स्टडी में पाया गया कि नींद की गोलियां खाने वाले लोगों में, खासकर बुजुर्गों में, गिरने और हड्डी टूटने (फ्रैक्चर) का खतरा काफी बढ़ जाता है। ये गोलियां शरीर के संतुलन और मांसपेशियों के नियंत्रण को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे रात में या सुबह उठते समय गिरने की आशंका बढ़ जाती है।
2. जानलेवा ब्लड क्लॉट्स (खून के थक्के):
रिसर्च का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि नींद की गोलियों का सेवन करने वालों में 'वीनस थ्रोम्बोएम्बोलिज्म' (Venous Thromboembolism - VTE) यानी खून के थक्के जमने का खतरा काफी अधिक होता है। ये ब्लड क्लॉट्स नसों में बनकर फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जो एक जानलेवा स्थिति हो सकती है।
3. इंफेक्शन और कैंसर का जोखिम:
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि नियमित रूप से नींद की गोलियां लेने वाले लोगों में इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ मामलों में तो इसका संबंध कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी जोड़ा गया है, हालांकि इस पर अभी और रिसर्च की जरूरत है।
किसे है सबसे ज्यादा खतरा?
यह रिसर्च चेतावनी देती है कि कोई भी व्यक्ति जो नींद की गोलियां ले रहा है, वह इन जोखिमों का सामना कर सकता है। लेकिन, कुछ लोगों में यह खतरा और भी ज्यादा होता है:
- बुजुर्ग: बढ़ती उम्र के साथ शरीर कमजोर हो जाता है, और इन गोलियों का असर उन पर ज्यादा होता है, जिससे गिरने का खतरा बढ़ जाता है।
- महिलाएं: महिलाओं पर भी इन गोलियों का दुष्प्रभाव अधिक देखा गया है।
- अश्वेत लोग: स्टडी में यह भी पाया गया कि अश्वेत लोगों पर इन गोलियों के साइड इफेक्ट्स का खतरा अधिक हो सकता है।
तो फिर क्या है इसका उपाय?
नींद न आना एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसका हल नींद की गोलियों में खोजना लंबे समय में और भी बड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है। बेहतर है कि आप अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव लाएं:
- सोने-जागने का एक समय तय करें।
- रोजाना व्यायाम या योग करें।
- सोने से पहले चाय, कॉफी या मोबाइल फोन से दूर रहें।
- अगर समस्या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लें और 'कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी' जैसे सुरक्षित विकल्पों पर विचार करें।
अगली बार जब आपको नींद न आए और आपका हाथ नींद की गोली की तरफ बढ़े, तो इस रिसर्च के नतीजों को जरूर याद कर लीजिएगा। क्योंकि कुछ घंटों की नींद की कीमत आपकी सेहत से बढ़कर नहीं हो सकती।
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