सिरसा, 19 जुलाई (हि.स.)। सरकार द्वारा किसान आंदोलन के दौरान किसानों को दिल्ली जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को राष्ट्रपति अवार्ड देने की सिफारिश का निर्णय निंदनीय है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) इस निर्णय की घोर निंदा करता है और इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगा। अगर सम्मानित करना ही है तो देश के उन जवानों को करो, जो रोजाना बॉर्डर पर शहीद हो रहे हैं।
यह बात भारतीय किसान एकता (बीकेई) के अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। औलख ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे किसानों पर सरकार ने सीधी गोलियां चलाकर, जहरीली गैस छुड़वाकर अत्याचार किए। एक युवा किसान शुभकरण इस दौरान शहीद भी हो गया। अनेक किसानों की आंखों की रोशनी चली गई, कुछ लोगों के हाथ-पांवों में फ्रैक्चर हो गया। शंभु व खनोरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों में से किसी के पास भी कोई हथियार नहीं था, लेकिन सरकार ने निहत्थे किसानों पर हमला करवाकर अपनी कू्ररता का परिचय दिया।
औलख ने कहा कि अब हाईकोर्ट ने कुछ दिन पूर्व सरकार को आदेश दिया था कि वो बॉर्डर के रास्ते खोलें और किसानों को दिल्ली जानें दें, लेकिन इसके बाद भी हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट चली गई, यहां से भी सरकार को कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार किसान हितैषी होने का दम भरती है, लेकिन दूसरी ओर किसानों पर अनगिनत अत्याचार कर किसान विरोधी होने का पुख्ता सबूत दे रही है।