उज्जैन, 16 जून (हि.स.)। धर्मधानी उज्जैन में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर रविवार को अमृत सिद्धि योग में गंगा दशहरा मनाया गया। शुरुआत विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर से मंदिर से हुई। यहां भगवान महाकाल का नृत्यार्चन हुआ। रसराज प्रभात नृत्य संस्थान के 120 कलाकारों ने भस्म आरती के बाद नृत्य प्रस्तुति दी। यह रात 11 बजे शयन आरती तक सतत चलेगी। नीलगंगा स्थित जूना अखाड़ा से निकली साधु संतों की पेशवाई में सिंहस्थ सा नजारा देखने को मिला। शिप्रा तट, विष्णु सागर, गंगा घाट तथा गायत्री शक्तिपीठ में भी उत्सवी छटा बिखरी।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा नीलगंगा से सुबह 7.30 बजे साधु संतों की पेशवाई प्रारंभ हुई। जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव महंत रामेश्वर गिरी महाराज एवं महंत देवगिरी महाराज के अनुसार पेशवाई में साधु संत घोड़े, बैंड बाजे, निशान के साथ शस्त्र कला का प्रदर्शन करते हुए निकले। इसके बाद सभी संत एवं भक्तों ने नीलगंगा सरोवर में स्नान किया। स्नान पश्चात मां नीलगंगा का पंचामृत अभिषेक किया गया।
नीलगंगा स्थित श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में आयोजित गंगा दशहरा उत्सव में रविवार सुबह मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने चांदी का सिक्का रखकर जूना अखाड़ा के देवताओं का पूजन किया। पश्चात नीलगंगा सरोवर का दूध से अभिषेक कर पूजा अर्चना की तथा सरोवर के जल का आचमन किया। मुख्यमंत्री ने परिसर स्थित गंगा माता का पंचामृत अभिषेक पूजन भी किया। अखाड़े में साधु संतों ने मुख्यमंत्री को चांदी का शिवलिंग भेंट कर सफल एवं यशस्वी जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया। मुख्यमंत्री गंगा दशहरा पर निकली साधु संतों की पेशवाई में भी अखाड़े के बाहर तक शामिल हुए।