भारत का 'गगनपुत्र' लौटा! अंतरिक्ष स्टेशन पर तिरंगा फहराने के बाद शुभांशु शुक्ला का भारत में हुआ भव्य स्वागत
यह एक ऐसा पल है जिसका इंतजार 140 करोड़ भारतीय दशकों से कर रहे थे। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और देश के गौरव, अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (Astronaut Shubhanshu Shukla) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station - ISS) पर अपने ऐतिहासिक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर आज भारत की धरती पर लौट आए हैं। दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उनका विमान उतरते ही पूरे देश में जश्न और गर्व की लहर दौड़ गई।
यह मिशन सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि इसरो (ISRO) के महत्वाकांक्षी 'गगनयान मिशन' (Gaganyaan Mission) की दिशा में एक सुनहरी छलांग है। शुभांशु शुक्ला का यह सफल मिशन उस सपने को हकीकत के बेहद करीब ले आया है, जहां भारत अपने दम पर, अपनी तकनीक से, अपने अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा।
एयरपोर्ट पर हुआ हीरो जैसा स्वागत
जैसे ही शुभांशु शुक्ला विमान से बाहर आए, उनका स्वागत करने के लिए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह, इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों सहित एक विशाल जनसमूह मौजूद था। ढोल-नगाड़ों और 'भारत माता की जय' के नारों के बीच शुभांशु शुक्ला का अभिनंदन किया गया। उनकी आंखों में अंतरिक्ष की अनंत ऊंचाइयों को छूकर लौटने की चमक और चेहरे पर भारत के लिए इतिहास रचने का सुकून साफ झलक रहा था।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मौके पर कहा, "आज का दिन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। शुभांशु शुक्ला सिर्फ एक एस्ट्रोनॉट नहीं, बल्कि नए भारत की आकांक्षाओं और क्षमताओं के प्रतीक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।"
कौन हैं भारत के यह नए हीरो - ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला उन चार जांबाज पायलटों में से एक हैं, जिन्हें इसरो ने अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' के लिए चुना है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आने वाले शुभांशु भारतीय वायुसेना में एक कुशल फाइटर पायलट रहे हैं। उन्होंने सुखोई-30 MKI जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को उड़ाया है। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्होंने रूस और भारत में बेहद कठिन ट्रेनिंग पूरी की है। उनका अनुशासन, साहस और तकनीकी ज्ञान ही था कि उन्हें इस महत्वपूर्ण NASA-ISRO सहयोगी मिशन के लिए चुना गया।
कैसा रहा ISS पर मिशन? भारत के लिए क्यों है यह इतना ख़ास?
शुभांशु शुक्ला का ISS पर रहना भारत के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा:
- गगनयान के लिए ड्रेस रिहर्सल: यह मिशन भारत के अपने गगनयान मिशन के लिए एक तरह का 'सेमी-फाइनल' या 'ड्रेस रिहर्सल' था। इसके जरिए इसरो को लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) में रहने पर भारतीय शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करने का बहुमूल्य डेटा मिला ।
- वैज्ञानिक प्रयोग: ISS पर रहते हुए शुभांशु ने भारत द्वारा भेजे गए कई वैज्ञानिक पेलोड्स पर काम किया। उन्होंने योग, बायोलॉजी और मैटेरियल साइंस से जुड़े कई प्रयोग किए, जिनके परिणाम भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों और धरती पर मेडिकल साइंस के लिए भी फायदेमंद होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग में मजबूती: इस मिशन ने भारत की अमेरिका (NASA) और रूस (Roscosmos) जैसी बड़ी अंतरिक्ष शक्तियों के साथ साझेदारी को और भी मजबूत किया है। यह दिखाता है कि दुनिया अब भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बराबर के और विश्वसनीय भागीदार के रूप में देख रही है।
इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया, "शुभांशु से हमें जो फर्स्ट-हैंड अनुभव और डेटा मिला है, वह गगनयान की तैयारियों के लिए अमूल्य है। उन्होंने न केवल सभी कार्यों को बखूबी अंजाम दिया, बल्कि अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत का सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व भी किया।"
आगे क्या? अब 'गगनयान' की बारी
शुभांशु शुक्ला की इस सफल यात्रा ने अब 'गगनयान' मिशन के लिए अंतिम मंच तैयार कर दिया है। इसरो अब पूरी तरह से उस मिशन पर ध्यान केंद्रित करेगा जहां 3 भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को 3 दिनों के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा और फिर सुरक्षित वापस लाया जाएगा। शुभांशु का अनुभव बाकी तीन अंतरिक्षयात्रियों के प्रशिक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा।
शुभांशु शुक्ला की यह वापसी सिर्फ एक व्यक्ति की वापसी नहीं है, यह अंतरिक्ष में एक नई भारतीय सुबह का आगाज है। उन्होंने करोड़ों भारतीय युवाओं के सपनों को नए पंख दिए हैं और यह विश्वास दिलाया है कि अगर इरादे बुलंद हों, तो आसमान की कोई सीमा नहीं होती।
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