Shradh Paksha 2025: घर पर ही खुद कैसे करें पितृ तर्पण, जब पंडित जी ना मिलें

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News India Live, Digital Desk: Shradh Paksha 2025:  हर साल पितृ पक्ष का समय आता है, जब हम अपने स्वर्गवासी पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए कुछ खास क्रियाएं करते हैं. इसे ही 'पितृ तर्पण' या 'श्राद्ध' कहा जाता है. कई बार ऐसा होता है कि पितृ पक्ष में घर पर पंडित जी नहीं मिल पाते या हम किसी वजह से उन्हें बुला नहीं पाते. ऐसे में कई लोग परेशान हो जाते हैं कि पूर्वजों के लिए श्राद्ध कैसे करें. लेकिन आपको बता दें कि अगर आप सच्चे मन और सही विधि से घर पर ही पितृ तर्पण करें तो इसका पूरा फल मिलता है!

साल 2025 में पितृ पक्ष, 18 सितंबर 2025, गुरुवार से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार तक चलेगा. ये वो दिन होते हैं जब हमारे पितर, यानी हमारे पूर्वज, पृथ्वी पर अपने वंशजों को आशीर्वाद देने आते हैं.

पितृ तर्पण करना क्यों ज़रूरी है?

हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ तर्पण करके हम अपने पूर्वजों के प्रति अपना आभार और सम्मान व्यक्त करते हैं. कहते हैं कि जो लोग पितृ तर्पण करते हैं, उन पर पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है और घर में सुख-शांति आती है. इससे पितृ दोष (जो माना जाता है कि परिवार में परेशानियाँ लाता है) से भी मुक्ति मिलती है.

तो आइए जानते हैं घर पर ही पितृ तर्पण की आसान और सही विधि:

सबसे अच्छी बात यह है कि इस पूजा को करने के लिए आपको बहुत सारी चीजों की ज़रूरत नहीं पड़ती.

सामग्री:

  1. एक साफ-सुथरा तांबे का लोटा या कोई साफ बर्तन.
  2. गंगाजल (अगर उपलब्ध न हो तो सामान्य शुद्ध जल भी चलेगा).
  3. काले तिल (थोड़े से).
  4. कुशा घास (अगर कुशा न मिले तो किसी भी पवित्र घास या पत्ती का उपयोग कर सकते हैं, जैसे तुलसी दल).
  5. एक साफ आसन जिस पर बैठ सकें.
  6. (अगर संभव हो तो धूप-दीप जला लें).

पितृ तर्पण की विधि (बिना पंडित जी):

  1. सुबह उठकर स्नान: सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें. कोशिश करें कि कपड़े बिना सिलाई वाले (जैसे धोती) या हल्के रंग के हों.
  2. सही दिशा में बैठें: अब घर में किसी शांत और साफ-सुथरी जगह पर आसन बिछाकर बैठ जाएं. ध्यान रहे आपका मुंह दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए. शास्त्रों में दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना गया है.
  3. तर्पण सामग्री तैयार करें: तांबे के लोटे या बर्तन में पानी भरें. उसमें थोड़े से काले तिल और एक कुशा डाल लें. अगर कुशा नहीं है तो काले तिल और पानी भी काफी हैं.
  4. पितरों का आह्वान: अब अपने दोनों हाथों में लोटा या बर्तन पकड़ें और पूर्वजों को याद करें. मन ही मन उनका नाम लें, जैसे 'पिता ____', 'दादा ____', 'परदादा ____' या अगर किसी पूर्वज का नाम याद न हो तो 'समस्त पितृभ्यो नमः' (सभी पितरों को प्रणाम) का उच्चारण करें.
  5. जल अर्पित करें: अपने दोनों हाथों की उंगलियों के बीच से, पानी को धीरे-धीरे जमीन पर गिरने दें. इसे तीन बार दोहराएं. हर बार जल अर्पित करते समय अपने पूर्वजों को याद करें और 'मैं आपके लिए यह जल तर्पण कर रहा हूँ/रही हूँ, मेरी श्रद्धा स्वीकार करें' ऐसा मन में बोलें.
    • पुरुषों के लिए: 'पितामुक तर्पयामि' (पिता को तर्पण), 'पितामहुक तर्पयामि' (दादा को तर्पण), 'प्रपितामहुक तर्पयामि' (परदादा को तर्पण) – आप उनकी आत्मा की शांति की कामना करें.
    • स्त्रियों के लिए: 'मातृक तर्पयामि' (माता को तर्पण), 'पितामहिक तर्पयामि' (दादी को तर्पण), 'प्रपितामहिक तर्पयामि' (परदादी को तर्पण) – ऐसा मन ही मन बोलते हुए जल अर्पित करें.
  6. क्षमा याचना: तर्पण के बाद, हाथ जोड़कर पूर्वजों से अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें और उनसे परिवार के लिए सुख-शांति, समृद्धि का आशीर्वाद मांगें.
  7. समापन: बाद में जो जल नीचे इकट्ठा हुआ है, उसे उठाकर किसी पेड़ या पौधे (तुलसी को छोड़कर) की जड़ में डाल दें.

ये विधि बेहद सरल है और इसे कोई भी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ कर सकता है. इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है आपकी भावना और पितरों के प्रति सम्मान. सच्चे मन से किया गया पितृ तर्पण हमेशा फलदायी होता है!

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