महाराष्ट्र राजनीति: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 133 सीटों पर जीत हासिल की है. सिर्फ 148 सीटों पर चुनाव लड़कर बीजेपी ने लगभग 90 फीसदी सीटें जीत ली हैं और ये महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी की सबसे बड़ी सफलता है. इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का संगठन और कड़ी मेहनत भी एक वजह मानी जा रही है. इस बीच आरएसएस और बीजेपी ने भी स्थानीय स्वशासन चुनाव की तैयारी तेज कर दी है.
इस मुद्दे पर आरएसएस भी सहमत है
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि स्थानीय स्वराज चुनाव अकेले लड़ा जाना चाहिए। ताकि वह शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के खिलाफ अपनी ताकत दिखा सके. आरएसएस के लोगों की भी राय है कि बीजेपी को स्थानीय स्वराज चुनाव अकेले लड़ना चाहिए.
रणनीतिकारों के मुताबिक स्थानीय चुनाव अकेले लड़ने से बीजेपी को जमीनी स्तर तक पहुंचने में मदद मिलेगी. इसके अलावा वह मुंबई, पुणे, नागपुर समेत विभिन्न शहरों में अपनी ताकत का आकलन भी कर सकेंगे. बीजेपी के अलावा अन्य दल भी अकेले लड़ने के पक्ष में हैं.
स्थानीय स्वराज्य चुनाव अकेले लड़ेगी शिवसेना (उद्धव गुट)!
महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (उद्धव ग्रुप) कई बार घोषणा कर चुकी है कि वह स्थानीय स्वराज चुनाव अकेले लड़ेगी. शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा, ‘महाराष्ट्र से शिवसैनिकों की राय सामने आ रही है कि चुनाव अकेले लड़ना चाहिए. इससे हमें दो फायदे होंगे. सबसे पहले यह राज्य भर के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेगा। दूसरा, पार्टी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा.’
गौरतलब है कि बीएमसी समेत देश की 27 संस्थाओं में चुनाव होने हैं। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव काफी समय से लंबित हैं। लेकिन अब विधानसभा चुनाव में मिली शानदार सफलता के बाद सभी सत्ताधारी दल चुनाव कराने के पक्ष में हैं.