हरिद्वार, 16 अप्रैल (हि.स.)। पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित ‘छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’ के आठवें दिन कथा व्यास स्वामी गोविन्द देव गिरि ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने कभी किसी के भी पूजा स्थल को तोड़ा नहीं लेकिन जहां मंदिर को तोड़कर अन्य प्रार्थना स्थल बनाए गए, उनको तोड़कर वापस मंदिर बनाया और अपना संकल्प सिद्ध किया। इस बात के ऐतिहासिक प्रमाण है कि शिवाजी महाराज ने तिरूवणामलई के दो देवालय की पुनर्स्थापना की।
कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने पांच आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी का आंदोलन तो पूरा हो गया, अब चिकित्सा की आजादी के आंदोलन की बारी है। पतंजलि संस्थानों के द्वारा विश्वव्यापी आयुर्वेद की प्रतिष्ठा से महर्षि चरक, महर्षि सुश्रुत की प्रतिष्ठा देश ही नहीं पूरे विश्व में होगी। उन्होंने कहा कि अब कोई पैथी नहीं, सभी पैथियां आयुर्वेद की अनुचर होंगी, सबसे ऊपर आयुर्वेद होगा।
उन्होंने शिक्षा की आजादी को बड़ा आंदोलन बताते हुए कहा कि 1835 में मैकाले द्वारा बनाए गए इण्डियन एजूकेशन एक्ट को अब ध्वस्त करने की बारी है जो भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम् के माध्यम से किया जाएगा। स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से आर्थिक आजादी का आंदोलन पतंजलि द्वारा वर्षों से चलाया जा रहा है। अब हमें 100 प्रतिशत स्वदेशी का प्रयोग करके आर्थिक लूट से भी देश को मुक्ति दिलानी होगी सबसे बड़ी आजादी वैचारिक व सांस्कृतिक आजादी है। कोई भी राष्ट्र बिना स्वाभिमान के आगे बढ़ ही नहीं सकता। 500 वर्षों बाद अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से सनातन व हिन्दू धर्म के स्वाभिमान की प्रतिष्ठा हुई है।
इस अवसर पर पतंजलि परिवार के वरिष्ठ पद्मसेन आर्य, आचार्यकुलम् की उपाध्यक्षा डॉ. ऋतम्भरा, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, आई.क्यू.ए.सी. सैल के अध्यक्ष प्रो. के.एन.एस. यादव, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, सहायक कुलसचिव डॉ. निर्विकार, आचार्यकुलम् की प्राचार्या आराधना कौल, सहित पतंजलि परिवार की संस्थाओं के सभी लोग उपस्थित रहे।