शिवसेना-यूबीटी में टूट की आशंका, शिंदे गुट के साथ जुड़ने की अटकलें तेज

Shiv Sena Ubt Chief Uddhav Tha

शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) में एक बार फिर दरार पड़ने की आशंका जताई जा रही है। खबर है कि पार्टी के कई नेता और विधायक शिंदे गुट में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका होगा। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने दावा किया है कि उनकी पार्टी का कोई भी नेता उन्हें छोड़कर नहीं जाएगा। लेकिन हालिया घटनाओं ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि पर नेताओं की गैरमौजूदगी

बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शिवसेना-यूबीटी के कई प्रमुख नेताओं की गैरमौजूदगी ने अटकलों को और तेज कर दिया है।

  • यह कार्यक्रम अंधेरी में आयोजित किया गया था।
  • गैरमौजूद नेताओं में विधायक दिलीप सोपल, राहुल पाटिल, बाबाजी काले, और सांसद संजय देशमुख, नागेश पाटिल अश्तिकार, बंधु जाधव, ओम राजे निंबालकर और संजय दीना पाटिल शामिल हैं।
  • पूर्व विधायक राजन साल्वी और वैभव नाइक भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।

विशेष रूप से, राजन साल्वी को लेकर चर्चा है कि वे यूबीटी छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने इन अफवाहों का खंडन भी नहीं किया है।

संजय राउत की सफाई

शिवसेना-यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने नेताओं की अनुपस्थिति पर सफाई देते हुए कहा:

“जो लोग अनुपस्थिति को मुद्दा बना रहे हैं, वे शिवसेना को नहीं समझते। यह कार्यक्रम मुंबई के लिए था, इसलिए प्रदेश के अन्य नेताओं ने इसमें भाग नहीं लिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ नेताओं ने पहले ही पार्टी को सूचित कर दिया था कि वे अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त हैं।

उदय सामंत का बड़ा दावा

शिवसेना नेता और उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में शिवसेना-यूबीटी में बड़ी टूट देखने को मिलेगी।

  • सामंत के दावे:
    • चार यूबीटी विधायक और तीन सांसद जल्द ही शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं।
    • चार कांग्रेस विधायक भी शिंदे शिवसेना का हिस्सा बनने वाले हैं।
  • उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना और भाजपा दोनों मिलकर यूबीटी नेताओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं।

राजनीतिक समीकरणों पर असर

शिवसेना-यूबीटी में संभावित टूट का असर महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा हो सकता है। यह न केवल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के लिए चुनौती है, बल्कि शिंदे गुट और भाजपा को और मजबूती देने वाला कदम साबित हो सकता है।