दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में एनसीपी नेता शरद पवार द्वारा महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने के बाद शिवसेना (यूबीटी) में विवाद गहरा गया है। शिवसेना (यूबीटी) ने इस कदम की तीखी आलोचना की, जिसके बाद पार्टी नेता आदित्य ठाकरे दिल्ली पहुंचे और वहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। लेकिन इस दौरान उन्होंने शरद पवार से दूरी बनाए रखी, जबकि पवार भी दिल्ली में ही मौजूद थे। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) में सबकुछ ठीक नहीं है? आखिर आदित्य ठाकरे ने दिल्ली में होते हुए भी शरद पवार से मुलाकात क्यों नहीं की?
शरद पवार द्वारा एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने पर मचा बवाल
बुधवार को शिवसेना (यूबीटी) के नेता और सांसद संजय राउत ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे को सम्मानित करने को लेकर शरद पवार की आलोचना की। यह समारोह अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन से पहले एक गैर-सरकारी संगठन सरहद द्वारा आयोजित किया गया था। इस साहित्य सम्मेलन की स्वागत समिति के प्रमुख शरद पवार हैं और यह कार्यक्रम इस साल 21 से 23 फरवरी तक दिल्ली में हो रहा है।
शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं का मानना है कि शिंदे, जिन्होंने शिवसेना से बगावत कर सरकार बनाई, को सम्मानित करना गलत है। इस पर एनसीपी (एसपी) के नेताओं ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक मतभेदों से परे सांस्कृतिक और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में नेताओं का एकसाथ आना कोई नई बात नहीं है।
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दिल्ली में आदित्य ठाकरे की रणनीतिक मुलाकातें, लेकिन शरद पवार से दूरी
शरद पवार द्वारा एकनाथ शिंदे को सम्मानित किए जाने के विवाद के बीच आदित्य ठाकरे बुधवार देर शाम दिल्ली पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और गुरुवार दोपहर अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की।
मीडिया से बातचीत में आदित्य ठाकरे ने बताया कि ये मुलाकातें सिर्फ शिष्टाचार भेंट थीं। हालांकि, उन्होंने महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“हमारे देश में चुनाव कितने स्वतंत्र और निष्पक्ष हो रहे हैं, इस पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है। चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी नहीं लग रही है।”
आदित्य ठाकरे ने यह भी बताया कि MVA ने महाराष्ट्र में 47 लाख नए मतदाताओं को जोड़ने पर आपत्ति जताई थी।
दिलचस्प बात यह रही कि दिल्ली में मौजूद शरद पवार से ठाकरे ने कोई मुलाकात नहीं की। जब मीडियाकर्मियों ने उनसे इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने जवाब दिया,
“हम मुंबई में जरूरत पड़ने पर उनसे मिलते रहते हैं।”
इससे यह चर्चा तेज हो गई कि MVA में अंदरूनी दरार बढ़ रही है और शिवसेना (यूबीटी) अब INDIA गठबंधन में अपने दूसरे सहयोगियों—कांग्रेस और AAP—के साथ ज्यादा घनिष्ठता बढ़ा रही है।
राउत के बयान पर ठाकरे का समर्थन, शिंदे को सम्मानित करने पर सवाल
संजय राउत द्वारा शरद पवार की आलोचना किए जाने के बाद भी आदित्य ठाकरे ने राउत का समर्थन किया। उन्होंने कहा,
“शिंदे ने हमारी पार्टी और चुनाव चिह्न चुरा लिया। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने महाराष्ट्र के उद्योगों को पड़ोसी राज्यों में भेज दिया। फिर उन्हें सम्मानित क्यों किया गया?”
ठाकरे ने दिल्ली में अपने सांसदों से भी मुलाकात की, लेकिन एनसीपी (शरद पवार) के किसी भी नेता से नहीं मिले।
MVA में बढ़ रही दरार या सिर्फ रणनीति?
आदित्य ठाकरे की राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल से मुलाकात को INDIA गठबंधन के अंदर शिवसेना (यूबीटी) की मजबूती के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, उन्होंने शरद पवार से दूरी बनाए रखकर संकेत दिया कि शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के बीच तनाव बढ़ रहा है।
वहीं, महाराष्ट्र की राजनीति में एक और दिलचस्प मोड़ यह है कि आदित्य ठाकरे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से भी मुलाकात कर रहे हैं। फडणवीस और शिंदे के बीच संबंध हाल के महीनों में तनावपूर्ण रहे हैं, जिससे कई राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि क्या MVA इस विवाद से बाहर निकलकर मजबूती से आगे बढ़ पाता है या यह गठबंधन धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है।