शेख हसीना का भारत दौरा: आज पीएम मोदी से मुलाकात, बनेंगे कई अहम समझौते

भारत के दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना आज पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की 15 दिनों में यह दूसरी भारत यात्रा है. इससे पहले शेख हसीना 9 जून को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई थीं. आज पीएम मोदी और हसीना के बीच रेलवे, ऊर्जा और कनेक्टिविटी समेत कई अन्य अहम मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है.

शेख हसीना आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगी

तीस्ता जल वितरण के मास्टर प्लान पर भी चर्चा हो सकती है. शेख हसीना का आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मिलने का कार्यक्रम है. उनके मौजूदा दौरे को ढाका-दिल्ली और बीजिंग के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. कल दिल्ली में उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की.

भारत और बांग्लादेश के रिश्ते खास हैं

पीएम मोदी ने बांग्लादेश के साथ रिश्तों को हमेशा खास अहमियत दी है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ पीएम मोदी के रिश्ते काफी मधुर रहे हैं. इस बार भी शेख हसीना मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुईं. वहीं, पिछले साल जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने बांग्लादेश को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था, नौ देशों में बांग्लादेश एकमात्र दक्षिण एशियाई देश था. भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के तहत बांग्लादेश एक महत्वपूर्ण भागीदार है।

 

 

 

कितना अहम है शेख हसीना का दौरा?

मोदी सरकार 3.0 के शपथ ग्रहण के बाद शेख हसीना दिल्ली का दौरा करने वाली पहली राष्ट्र प्रमुख हैं। 15 दिनों में यह उनकी दूसरी भारत यात्रा है। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों देशों की दोस्ती कितनी अहम है. बांग्लादेश भारत के लिए बेहद रणनीतिक महत्व रखता है। जिससे बांग्लादेश में चीन की रणनीति फेल हो सकती है. इस दौरे के बाद शेख हसीना चीन जाएंगी. इसके कई मायने भी हैं क्योंकि बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है।

भारत-बांग्लादेश एजेंडा

पीएम मोदी और शेख हसीना के बीच मुलाकात के दौरान कई अहम समझौतों पर चर्चा हो सकती है. इनमें तीस्ता जल समझौता, सीमा पार कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर, म्यांमार में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा, आर्थिक और व्यापार मुद्दों पर चर्चा, व्यापार पर आम सहमति बनाने के प्रयास और कनेक्टिविटी बढ़ाना शामिल हैं।