दिल्ली चुनाव में ‘शीशमहल’ बना सबसे बड़ा मुद्दा: केजरीवाल के बंगले पर घमासान

Sheeshmahal 1736397431806 173639 (1)

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच एक बंगला, जिसे ‘शीशमहल’ कहा जा रहा है, राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। यह बंगला, जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 2015 से 2024 तक रहे, अब भाजपा और कांग्रेस के लिए आप (आम आदमी पार्टी) पर हमले का हथियार बन गया है। भाजपा इसे केजरीवाल की “आम आदमी” वाली छवि तोड़ने की कोशिश में इस्तेमाल कर रही है, तो वहीं ‘आप’ इसके बचाव में प्रधानमंत्री आवास का जिक्र कर रही है।

‘शीशमहल’ नाम कैसे पड़ा?

इस बंगले को ‘शीशमहल’ नाम भाजपा और कांग्रेस ने नहीं दिया।

  • मई 2023 में एक न्यूज चैनल ने पहली बार इस बंगले के नवीनीकरण पर हुए खर्च को लेकर दावा किया।
  • चैनल टाइम्स नाउ ने इसे ‘ऑपरेशन शीशमहल’ नाम दिया, और यहीं से यह नाम राजनीति और आम लोगों की जुबान पर चढ़ गया।
  • भाजपा और कांग्रेस ने इसे तूल देते हुए ‘शीशमहल’ शब्द को जनता के बीच प्रचारित किया।

क्या है असली ‘शीशमहल’?

‘शीशमहल’ का नाम जयपुर के आमेर किले में स्थित एक प्रसिद्ध महल से लिया गया है, जिसे ‘दर्पणों का महल’ भी कहते हैं।

  • इसकी दीवारों और छतों पर महंगे पत्थर और शीशे का उपयोग किया गया है।
  • भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल ने अपने बंगले के नवीनीकरण में भी इसी तरह महंगे टाइल्स और पत्थरों का इस्तेमाल किया।

शीशमहल पर भाजपा और कांग्रेस के आरोप

  • केजरीवाल का बंगला, जो दिल्ली के सिविल लाइन्स स्थित 6 प्लैगस्टाफ रोड पर है, कोरोना काल में नवीनीकरण के लिए चर्चा में आया।
  • आरोप है कि इस बंगले पर 33 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए।
  • मीडिया में लीक हुई सीएजी रिपोर्ट के अनुसार:
    • शुरू में अनुमानित खर्च 7.9 करोड़ रुपये था।
    • बाद में पीडब्ल्यूडी ने दस्तावेज अधूरे प्रस्तुत किए, और खर्च 33 करोड़ से अधिक पहुंच गया।

केजरीवाल के बंगले पर चर्चा क्यों?

सवाल यह है कि जब हर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री को उनके पद के अनुसार सरकारी आवास मिलता है, तो सिर्फ केजरीवाल के बंगले पर इतना विवाद क्यों?

  • 12-13 साल पुरानी पृष्ठभूमि इसका कारण है।
  • भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने बड़े-बड़े बंगलों और नेताओं की विलासिता पर सवाल उठाए थे।
  • उन्होंने कहा था कि उनके लिए 2-3 कमरों का साधारण घर ही पर्याप्त होगा।
  • दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान वह शीला दीक्षित के बंगले में लगे 12 एसी की बात कर नेताओं के खर्चों को जनता के सामने रखते थे।

अब भाजपा और कांग्रेस केजरीवाल के कथनी और करनी के फर्क को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या यह सिर्फ बंगले का मामला है?

बंगले पर उठे सवाल सिर्फ एक मकान तक सीमित नहीं हैं। यह बहस आम आदमी पार्टी की छवि और केजरीवाल की राजनीतिक नैतिकता पर भी केंद्रित है।

  • भाजपा और कांग्रेस केजरीवाल को उनके पुराने बयानों के आधार पर घेरने की कोशिश कर रही हैं।
  • दूसरी ओर, ‘आप’ यह कहते हुए पलटवार कर रही है कि भाजपा का मकसद केवल मुद्दों से भटकाना है।

‘शीशमहल’ विवाद का असर

  • सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और अखबारों में इस विवाद ने जमकर सुर्खियां बटोरीं।
  • यह चुनावी बहस का प्रमुख हिस्सा बन चुका है, जहां सभी दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

क्या कहती है आम जनता?

जनता के बीच यह बहस चल रही है कि क्या केजरीवाल, जो खुद सादगी और ईमानदारी का प्रतीक बनकर उभरे थे, अब उन्हीं आदर्शों को भूल गए हैं?

  • ‘आप’ समर्थक इसे भाजपा और कांग्रेस का प्रोपेगेंडा बता रहे हैं।
  • वहीं, भाजपा और कांग्रेस समर्थक इसे “दोहरी राजनीति” का प्रमाण मान रहे हैं।